
रविशंकर प्रसाद
भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को कोपेनहेगन में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करने वाले स्थल के बाहर भारत विरोधी नारे लगाने वाले पाकिस्तानी नागरिकों पर पलटवार किया और कहा कि वे “हताशा” में यहां आए हैं, उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे “उन्हें अनदेखा करें”। कोपेनहेगन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए रविशंकर प्रसाद ने सुझाव दिया कि यह व्यवधान आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को व्यक्त करने के लिए वैश्विक आउटरीच कार्यक्रम के व्यापक कवरेज के कारण उत्पन्न हुआ।
कोपेनहेगन में क्या बोले रविशंकर प्रसाद?
प्रसाद ने कहा, “मैं यहां पाकिस्तानियों को नारे लगाते देख कर बहुत हैरान था। हमारा कार्यक्रम बहुत अच्छा चल रहा है। हमें व्यापक कवरेज मिल रही है। पाकिस्तान में उनके आकाओं ने उन्हें कुछ करने के लिए कहा होगा। वे हताशा में यहां आए हैं। पाकिस्तान एक हताश देश है जो हताशा में जी रहा है। उन्हें बिना किसी दंड के नजरअंदाज किया जा रहा है।” इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला तथा उन क्षेत्रों में नागरिकों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला।
बलूचिस्तान पर क्या बोले रविशंकर प्रसाद?
प्रसाद ने कहा, “पीओके में लोगों के साथ किस तरह का दुर्व्यवहार हो रहा है, क्या आप जानते हैं? वे भारत में आने के लिए रो रहे हैं। बलूचिस्तान में महिलाओं के साथ सबसे बर्बर व्यवहार किया जा रहा है। पाकिस्तान आज बहुत परेशान है। हमने चार पारंपरिक युद्ध लड़े, इनमें से कोई भी भारत ने शुरू नहीं किया, हमने केवल जवाब दिया और पाकिस्तान सभी युद्ध हार गया। ‘जिन्ना ने पाकिस्तान बनाया, वह जनरल की दुकान बन गई।” रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, समिक भट्टाचार्य, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस सांसद गुलाम अली खटाना और अमर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और राजदूत पंकज सरन शामिल हैं।
डेलीगेशन भेजने के पीछे का मकसद?
इसके बाद जब भारतीय सेना ने पलटवार करना शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह हो गए, जिसके बाद पाकिस्तान घुटनों के बल आ गया। इसके बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क करके सीजफायर का प्रस्ताव रखा। सीजफायर पर सहमति बन गई लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि आगे सिर्फ पाकिस्तान से पीओके और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बात होगी। दरअसल भारतीय डेलीगेशन को दुनियाभर में भेजने के पीछे का मकसद है पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करना।
दरअसल डेलीगेशन आतंकवाद के मुद्दे पर दुनियाभर में पाकिस्तान की पोल खोल रहा है ताकि पाकिस्तान को समर्थन ना मिले। साथ ही पाकिस्तान को वापस FATF की ग्रे लिस्ट में डाला जाए, ताकि पाकिस्तान को फंड्स ना मिले और मिले भी तो उसपर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी हो, ताकि पाकिस्तान आतंकवाद का वित्तपोषण ना कर सके। साथ ही आतंकवाद के मामले पर पाकिस्तान पर लगाम लगाई जा सके।