
माधवी लता, सिविल इंजीनियर
नई दिल्ली: अगर दिल में कुछ कर पाने जज्बा हो और आप लगातार मेहनत करते रहते हैं तो एक दिन मंजिल आपके कदम को चूम ही लेती है। ऐसा ही कुछ जुनून था माधवी लता में जिन्होंने अपनी जिद, जुनून और मेहनत से एक असंभव से लग रहे प्रोजेक्ट को संभव बना दिया। जी हां ये माधवी लता और उनकी टीम की लगातार मेहनत का ही नतीजा है कि भारत जम्मू-कश्मीर के दुर्गम इलाके में दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज बनाने में कामयाब रहा। चिनाब ब्रिज का उद्घाटन शुक्रवार को पीएम मोदी ने किया।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कैसे पहुंचीं माधवी लता?
चिनाब ब्रिज के निर्माण में बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) में प्रोफेसर माधवी लता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। माधवी लता ने न सिर्फ इस पुल का डिजाइन तैयार किया बल्कि उसके निर्माण तक में बड़ा रोल निभाया।
माधवी लता ने 1992 में जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वारंगल स्थित एनआईटी से एमटेक में गोल्ड मेडल हासिल किया। माधवी यहीं नहीं रुकीं उन्होंने वर्ष 2000 में अपनी पीएचडी पूरी की। वर्ष 2004 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ज्वाइन करने से पहले उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी में भी पढ़ाया। फिलहाव माधवी लता इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में सीनियर प्रोफेसर हैं। माधवी लता को 2021 में बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर और 2022 में टॉप वीमेन इन स्टीम का खिताब भी मिला।
माधवी लता को मिल चुके हैं ये पुरस्कार
माधवी लता को भू-यांत्रिकी के सूक्ष्म से स्थूल तक, टिकाऊ मृदा सुदृढ़ीकरण, भूकंप भू-तकनीकी इंजीनियरिंग और चट्टान इंजीनियरिंग के रिसर्च में काफी रुचि है। भारतीय भू-तकनीकी सोसायटी की ओर से उन्हों भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में सर्वश्रेष्ठ महिला शोधकर्ता का पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें IISC का प्रोफ़ेसर एसके चटर्जी उत्कृष्ट शोधकर्ता पुरस्कार, कर्नाटक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा महिला अचीवर्स पुरस्कार और SERB POWER फेलोशिप भी मिल चुकी है। वह STEAM ऑफ़ इंडिया की शीर्ष 75 महिलाओं में शामिल हैं।
लेख में किया चुनौतियां का वर्णन
28 मई 2025 को इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल के महिला विशेषांक में एक लेख पब्लिश हुआ। इसका शीर्षक था “डिजाइन ऐज यू गो: द केस स्टडी ऑफ चिनाब रेलवे ब्रिज” । इसे ड. माधवी लता ने लिखा था। इसमें उन्होंने पिछले 17 साल में पुल के निर्माण आई प्रमुख चुनौतियों का विस्तार से वर्णन किया है। चिनाब पुल के उद्घाटन के तुरंत बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। इस पोस्ट कहा गया कि हमें पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए चिनाब ब्रिज के निर्माण में प्रोफेसर माधवी लता और उनकी टीम के योगदाव पर गर्व है। टीम ने ढलानों की स्थिरता, नींव के डिजाइन और निर्माण, ढलान स्थिरीकरण प्रणालियों के डिजाइन, खतरों का सामना किया।
चिनाब पुल की खासियत
- मुख्य मेहराब की चौड़ाई-467 मीटर
- पुल की कुल लंबाई- 1,315 मीटर
- 266 किमी प्रति घंटे की गति वाली हवा को सहने की क्षमता
- चिनाब पुल एफिल टॉवर से भी ऊंचा
- कुतुब मीनार से लगभग पांच गुना ऊंचा
- 28,000 मीट्रिक टन से ज्यादा इस्पात का इस्तेमाल
