
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुनिया के सभी मुल्कों से अपील की है कि वे पाकिस्तान को फंडिंग बंद कर दें क्योंकि पाकिस्तान को जो पैसा मिलता है, उसका बड़ा हिस्सा आतंकवादियों के पास पहुंचता है। पाकिस्तान को पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया गया, इस पर राजनाथ सिंह ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि ये तो बिल्ली को दूध की रखवाली की जिम्मेदारी देने जैसा है, पाकिस्तान खुद आतंकवाद को पालता पोसता है और अब वही दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ उपदेश देगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब करना जरूरी हो गया है। यह बात पूरी दुनिया के सामने आ रही है कि पाकिस्तान को फंडिंग का मतलब है कि आतंकवाद को फंडिंग। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान को मिलने वाली विदेशी आर्थिक मदद को बंद करना होगा, आतंकवाद को खाद-पानी नहीं मिलना चाहिए, इसमें संयुक्त राष्ट्र की भूमिका अहम है, लेकिन उसके निर्णयों पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि जहां हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी खुले आम घूमते हैं और जहर उगलते हैं, उस राष्ट्र को आतंकवाद विरोधी कमेटी का उपाध्यक्ष बनाया जाता है, आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तानी फौज के अफसर फातिहा पढ़ते नजर आते हैं, यह क्रूर मजाक से कम नहीं है।
दिलचस्प बात ये है कि मंगलवार को ही शहबाज़ शरीफ़ सरकार ने पाकिस्तान का रक्षा बजट 20 प्रतिशत बढ़ा दिया। लेकिन नोट करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान के बजट का बड़ा हिस्सा विदेशी कर्ज़ चुकाने में जाएगा क्योंकि पाकिस्तान पर जो कर्ज़ है, वह उसके GDP के 70 परसेंट के बराबर है।
हैरानी की बात ये है कि शहबाज़ शरीफ कल खुद कह रहे थे कि पाकिस्तान कटोरा लेकर पूरी दुनिया में घूम रहा है, अब वो जिस मुल्क में भी जाते हैं, वहां के नेता यही सोचते हैं कि वो पैसा मांगने आए होंगे। इसके बाद भी शहबाज शरीफ रक्षा बजट बढ़ाने का एलान करें तो ये पाकिस्तान के लोगों की लिए चिंता की बात है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अब पाकिस्तान के नौजवानों को तय करना है कि उन्हें विकास चाहिए या दहशतगर्दी को बढ़ावा देने वाली सरकार और फौज।
हमारे सांसदों ने पाकिस्तान को कैसे एक्सपोज किया?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के डिप्लोमैटिक मिशन पर गए सांसदों से मुलाकात की। पीएम ने 33 देशों का दौरा करके लौटे सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की। ऑपरेशन सिंदूर के बाद 59 सांसदों और पूर्व राजनयिकों को दुनिया के 33 देशों में भेजा गया था। प्रतिनिधिमंडलों में बीजेपी, कांग्रेस, TMC, JDU, TDP, DMK, शिवसेना, CPM और NCP के सांसद शामिल थे। कांग्रेस से शशि थरूर, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी जैसे सांसद भेजे गए थे, वहीं TMC से अभिषेक बनर्जी, DMK से कनिमोली, NCP से सुप्रिया सुले, CPM से जॉन ब्रिटास, उद्धव ठाकरे की शिवसेना से प्रियंका चतुर्वेदी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना से श्रीकांत शिंदे को भी शामिल किया गया था।
इन सारे नेताओं से प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात की। असदुद्दीन ओवैसी भी प्रतिनिधमंडल के साथ मध्य पूर्व के देशों में गए थे और मज़बूती से भारत का पक्ष रखा था लेकिन प्रधानमंत्री की चाय पार्टी में ओवैसी शामिल नहीं हुए क्योंकि उन्हें अपने किसी परिचित को अस्पताल में देखने के लिए दुबई जाना पड़ा।
विदेशों में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने से दो फायदे हुए। पहला, पूरी दुनिया ने भारत का पक्ष सुना। जहां-जहां भी हमारे सांसद गए, वहां तीन मुख्य बातें साफ तौर पर बताई गईं। एक, पाकिस्तान दहशतगर्दी की फैक्ट्री है। दो, भारत के पास पाकिस्तान में घुसकर मारने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। तीन, अब हद हो चुकी, भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। पाकिस्तान ने फिर गड़बड़ की तो इस बार एक्शन और भी भयानक होगा। पाकिस्तान में कोई ऐसा कोना नहीं, जो भारत की मिसाइल्स की पहुंच के बाहर हो।
दूसरा फायदा, पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान के आतंक के सवाल पर भारत की सारी पार्टियां एक साथ दिखाई दीं। जो थोड़ा बहुत नुकसान हुआ, वह कांग्रेस का हुआ। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस से जो नेता थे, उन्होंने राष्ट्र हित की बात की, लेकिन कांग्रेस आला कमान इसमें राजनीतिक नफा-नुकसान ढूंढता रहा। नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस अलग-थलग पड़ गई और उसने अपने ही नेताओं को हाशिये पर कर दिया। (रजत शर्मा)
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