नई दिल्ली: स्विस बैंक खातों में भारतीय संस्थाओं द्वारा जमा राशि में कथित वृद्धि के संबंध में मीडिया में चल रही अटकलों के बीच भारत सरकार ने शुक्रवार को स्पष्ट किया है कि इन आंकड़ों में कंपनियों, बैंकों और व्यक्तियों के फंड शामिल हैं और इन्हें अलग-अलग नहीं देखा जाना चाहिए। बता दें कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि स्विट्जरलैंड में भारतीयों के बैंक खातों में जमा राशि बढ़ी है। इस पर आयकर विभाग ने साफ किया कि भारत 100 से ज्यादा देशों से ऐसी जानकारी नियमित रूप से हासिल करता है, जिसमें स्विट्जरलैंड भी शामिल है।
सितंबर 2019 से जारी है यह सिलसिला
विभाग के मुताबिक, स्विट्जरलैंड 2018 से हर साल भारतीय निवासियों के वित्तीय खातों की जानकारी ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन (AEOI) के तहत दे रहा है। पहली बार यह जानकारी सितंबर 2019 में मिली थी और तब से यह सिलसिला नियमित रूप से चल रहा है। इसमें उन खातों की जानकारी भी शामिल है, जिन पर वित्तीय गड़बड़ियों का शक है। आयकर विभाग ने बताया कि 2024-25 के लिए प्राप्त जानकारी की तुलना करदाताओं द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न (ITR) में दी गई विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी से की गई। जिन करदाताओं ने अपनी विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी ITR में नहीं दी थी, उन्हें SMS और ईमेल के जरिए रिटर्न की समीक्षा करने को कहा गया।
क्या हुआ सरकार की पहल का असर?
इस पहल का बड़ा असर हुआ। कुल 24,678 करदाताओं ने अपने ITR की समीक्षा की और 5,483 करदाताओं ने देर से रिटर्न दाखिल कर 29,208 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति और 1,089.88 करोड़ रुपये की अतिरिक्त विदेशी आय की जानकारी दी। जो करदाता अब भी जवाब नहीं दे रहे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार किया जा रहा है। आयकर विभाग के जागरूकता अभियान और सिस्टम आधारित दृष्टिकोण के चलते 2024-25 में 2.31 लाख करदाताओं ने अपनी विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी दी, जो पिछले साल (2023-24) के 1.59 लाख करदाताओं की तुलना में 45.17% ज्यादा है।
नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
विभाग ने कहा कि करदाता अब स्वेच्छा से अपनी विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी दे रहे हैं और अपने रिटर्न को ठीक कर रहे हैं। हालांकि, जो करदाता अब भी नियमों का पालन नहीं कर रहे, उनके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है।