
रणथंभौर की लोकप्रिय बाघिन एरोहेड की मौत।
रणथंभौर नेशनल पार्क की प्रसिद्ध बाघिन ‘एरोहेड’ की मौत हो गई है। एरोहेड को टी-84 भी कहते थे जिसकी उम्र करीब 11 वर्ष की थी। अधिकारियों ने बताया है कि एरोहेड बाघिन का जन्म फरवरी 2014 में हुआ था। एरोहेड रणथंभौर पार्क की प्रसिद्ध बाघिन ‘मछली’ के परिवार से थी। अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, एरोहेड की मौत ब्रेन ट्यूमर के कारण हुई है। आइए जानते हैं कि एरोहेड बाघिन के बारे में और क्या जानकारी सामने आई है।
क्यों प्रसिद्ध हुई थी एरोहेड?
दरअसल, कुछ ही समय पहले बाघिन एरोहेड चर्चा का विषय बन गई थी। एरोहेड ने एक जलाशय में मगरमच्छ का शिकार किया था। इस घटना का वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। एरोहेड द्वारा मगरमच्छ के शिकार ने बाघिन ‘मछली’ की याद दिला दी थी। बाघिन मछली को अपने शिकार कौशल के कारण ‘रणथंभौर की रानी’ और ‘मगरमच्छ शिकारी’ के नाम से जाना जाता था।
एरोहेड के कितने बच्चे हैं?
रणथंभौर के वन अधिकारियों और अन्य लोगों ने गुरुवार को एरोहेड को श्रद्धांजलि दी और फिर उसका अंतिम संस्कार किया। रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर अनूप केआर ने बताया है कि एरोहेड को ज्यादातर रणथंभौर के जोन 2, 3, 4 और 5 में देखा गया था। नलघाटी और राजबाग झील उसका मुख्य इलाका था। उन्होंने बताया है कि एरोहेड उसके आकर्षक रूप के लिए तो प्रसिद्ध थी ही, साथ ही उसने बाघों की आबादी बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई। जानकारी के मुताबिक, एरोहेड कुल 4 बार मां बनी थी और उसने 10 शावकों को जन्म दिया। इनमें से 6 अब भी जीवित हैं। एरोहेड आखिरी बार 2023 में मां बनी थी।
एरोहेड की संतान को पार्क से ले जाया गया
एक अधिकारी ने बताया है कि एरोहेड को गुरुवार की सुबह में RTR जोन 2 में मृत पाया गया था। जानकारी के मुताबिक, एरोहेड की मौत वन विभाग द्वारा उसकी संतान कनकती को उद्यान से बाहर ले जाने के कुछ ही दिनों बाद हुई है। वह लंबे समय से बीमार भी चल रही थी। (इनपुट: भाषा)
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