पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हमलों की निंदा की, अंतरराष्ट्रीय कानून का बताया उल्लंघन


ईरान, अमेरिका और पाकिस्तान के सीनियर लीडर
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ईरान, अमेरिका और पाकिस्तान के सीनियर लीडर

पाकिस्तान ने रविवार को ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों की निंदा की है। पाकिस्तान ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने क्षेत्र में हिंसा के और बढ़ने की आशंका भी जताई है। इससे एक दिन पहले ही पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया था। 

इन तीन न्यूक्लियर साइटों पर किया हमला

अमेरिका ने रविवार की सुबह ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला किया, जिसका उद्देश्य देश के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करना था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की तो और हमले किए जाएंगे। 

तनाव बढ़ने की आशंका को लेकर चिंतित है पाकिस्तान

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (FO) ने एक बयान में कहा, ‘पाकिस्तान ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों की निंदा करता है। हम इस क्षेत्र में तनाव के और बढ़ने की आशंका से बेहद चिंतित हैं।’ 

अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों का उल्लंघन

पाकिस्तान ने कहा कि ये हमले ‘अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन हैं’ और ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत खुद का बचाव करने का वैध अधिकार है। एफओ ने कहा, ‘ईरान के खिलाफ जारी हमलों के कारण तनाव और हिंसा में अभूतपूर्व वृद्धि बेहद चिंताजनक है। तनाव बढ़ने से इस क्षेत्र और दूसरे क्षेत्रों के लिए हानिकारक परिणाम होंगे।’ 

 पाक ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए की सिफारिश

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को कहा था कि वह हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के ‘निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप’ के लिए औपचारिक रूप से उनके नाम की सिफारिश 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए करेगी। 

अभी और दलों ने कुछ नहीं कहा

इस बीच, सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के किसी भी प्रमुख नेता ने अभी तक ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमले पर कोई बयान जारी नहीं किया है। इसके बारे में विश्लेषकों का कहना है कि ‘सैन्य प्रतिष्ठान के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों’ के कारण ऐसा हो रहा है। (भाषा के इनपुट के साथ)

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