
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इजरायल ईरान युद्ध की एक ‘परफेक्ट एंडिंग’ चाहते हैं।
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व में 12 दिन तक चले युद्ध को एक नाटकीय सीजफायर के साथ खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने इस युद्ध को ’12 डे वॉर’ का नाम दिया और इसे एक टीवी सीरियल के फिनाले की तरह पेश किया। लेकिन सवाल यह है कि क्या बाकी दुनिया ट्रंप की इस स्क्रिप्ट को मानेगी? सोमवार रात ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर की घोषणा की। लेकिन यह युद्धविराम शुरू होते ही डगमगाने लगा। दोनों देशों ने इसके बाद भी एक-दूसरे पर हमले किए। मंगलवार सुबह ट्रंप ने दोनों देशों को फटकार लगाई। उन्होंने गुस्से में कहा, ‘मैं उनसे खुश नहीं हूं। उन्हें लड़ाई बंद करनी होगी।’ फिलहाल, दोनों देशों ने हमले रोक दिए हैं।
कितने दिन तक टिकेगा यह सीजफायर?
हालांकि, यह सीजफायर कितना टिकेगा, ये साफ नहीं है। ईरान के परमाणु प्रोग्राम का कितना हिस्सा हमलों में बचा है, इस पर भी सवाल हैं। ट्रंप का दावा है कि ईरान का परमाणु प्रोग्राम ‘पूरी तरह तबाह’ हो गया, लेकिन एक्सपर्ट्स को ऐसा नहीं लगता। मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो ब्रायन कटुलिस कहते हैं, ‘अभी ट्रंप को एक सख्त लीडर के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन अगर बाद में नतीजे उलटे निकले, तो सवाल उठेगा कि क्या हम बेहतर स्थिति में हैं?’
इजरायल और ईरान के बीच लड़ाई दोबारा शुरू होने पर ट्रंप काफी गुस्से में थे।
मिडिल ईस्ट में कैसे शुरू हुई यह जंग?
लगभग दो हफ्ते पहले इजरायल ने ईरान पर हमला किया। उसने ईरानी सैन्य कमांडरों, वैज्ञानिकों, मिसाइल लॉन्चर और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया। लेकिन ईरान के परमाणु ठिकाने, जो जमीन के नीचे गहरे बने हैं, उन्हें नष्ट करने की ताकत सिर्फ अमेरिका के पास थी। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु प्रोग्राम शांतिपूर्ण है, लेकिन अमेरिका और इजरायल को डर था कि वह परमाणु हथियार बना सकता है। अमेरिकी जासूसी एजेंसियों का मानना था कि ईरान ने अभी हथियार बनाने का फैसला नहीं किया था, फिर भी ट्रंप ने मौका देखकर हमला कर दिया। उन्होंने अमेरिकी बमवर्षक विमानों को 3 परमाणु ठिकानों पर हमला करने का आदेश दिया और चेतावनी दी कि अगर अमेरिकी सैनिकों पर हमला हुआ तो और हमले होंगे।
कई अप्रत्याशित लोगों ने भी की ट्रंप की तारीफ
दो दिन बाद ट्रंप ने ऐलान किया कि इजरायल और ईरान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘सबको बधाई! यह युद्ध सालों तक चल सकता था और पूरे मध्य पूर्व को तबाह कर सकता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और कभी होगा भी नहीं!’ ट्रंप के इस कदम की कुछ ऐसे लोगों ने भी तारीफ की, जिनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के मध्य पूर्व नीति समन्वयक रहे ब्रेट मैकगर्क ने कहा, ‘यह सबसे अच्छी स्थिति है। मैं ट्रंप और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम को इस संकट को संभालने के लिए बहुत अच्छे नंबर देता हूं।’ लेकिन ब्रायन कटुलिस इतने आश्वस्त नहीं। उनका कहना है कि ट्रंप प्रशासन के पास ‘स्पष्ट कूटनीतिक रणनीति’ का अभाव है और वे सिर्फ सैन्य रणनीति पर ध्यान दे रहे हैं।
अमेरिका ने बी2 बॉम्बर्स भेजकर ईरान के 3 परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया था।
‘ईरान अपने परमाणु ठिकाने कभी नहीं बना पाएगा!’
कटुलिस का कहना है कि युद्ध से पहले ट्रंप ईरान पर दबाव बना रहे थे कि वह अपने परमाणु प्रोग्राम को बातचीत के जरिए छोड़े। लेकिन अब कोई गारंटी नहीं कि ईरान बातचीत के लिए तैयार होगा। वहीं, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया, ‘ईरान अपने परमाणु ठिकानों को कभी नहीं बना पाएगा! सभी परमाणु सुविधाओं को नष्ट करना और फिर युद्ध रोकना मेरा सौभाग्य था!’ मंगलवार को ट्रंप नीदरलैंड में NATO सम्मेलन के लिए रवाना हो गए। ट्रंप हमेशा से अप्रत्याशित और आक्रामक रवैया अपनाते रहे हैं। अपनी पहली सरकार में भी उन्होंने ईरान को निशाना बनाया था। एक बार उन्होंने ईरान द्वारा अमेरिकी ड्रोन मार गिराने के बाद हमला टाल दिया था, लेकिन एक टॉप ईरानी जनरल की हत्या का आदेश दिया था।
ट्रंप के लिए नोबेल प्राइज की मुहिम तेज
ट्रंप को इस सीजफायर के लिए नोबेल शांति पुरस्कार 2025 के लिए नामांकित किया गया है। अमेरिकी सांसद बडी कार्टर ने उन्हें नामित करते हुए कहा कि ट्रंप ने ‘असंभव’ समझौता करवाया। इससे पहले सांसद डेरेल इस्सा ने भी ट्रंप को उनकी 2024 की चुनावी जीत के लिए नामांकित किया था। पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार ने भी भारत-पाक तनाव में ट्रंप की कूटनीति की तारीफ करते हुए उन्हें नामित करने की सिफारिश की थी। नोबेल की वेबसाइट के मुताबिक, 2025 के शांति पुरस्कार के लिए 338 उम्मीदवार हैं। कार्टर, जो ट्रंप के बड़े समर्थक हैं, ने पहले ग्रीनलैंड का नाम बदलकर ‘रेड, व्हाइट, और ब्लूलैंड’ करने जैसे प्रतीकात्मक प्रस्ताव भी दिए हैं।
अब सीजफायर पर आगे क्या नजर आ रहा है?
यह सीजफायर शांति की ओर ले जाएगा या और खूनखराबे का कारण बनेगा, यह कहना मुश्किल है। अपने न्यूक्लियर ठिकानों पर हमले के बाद ईरान की सरकार और सख्त हो सकती है, जिससे दशकों से चले आ रहे क्षेत्रीय तनाव का हल निकालना मुश्किल हो जाएगा। ट्रंप फिलहाल अपनी इस ‘जोखिम भरी’ विदेश नीति की जीत का जश्न मना रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर डाली, जिसमें वे अमेरिकी झंडे को चूम रहे हैं और उस पर लिखा था, ‘ट्रंप की हर बात सही थी।’ दुनिया अब देख रही है कि क्या ट्रंप की यह ‘परफेक्ट एंडिंग’ वाकई हकीकत बनेगी, या यह भी एक और अधूरी कहानी बनकर रह जाएगी। (AP)