
स्पेसक्राफ्ट
पृथ्वी से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक की दूरी मात्र 400 किलोमीटर है लेकिन शुभांशु शुक्ला के स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन को इस दूरी को तय करने के लिए लगभग 28.5 से 29 घंटे की यात्रा तय करनी होगी। तो आप सोच रहे होंगे कि आखिर 400 किलोमीटर की यात्रा को तय करने के लिए 29 घंटे क्यों लगेंगे। इसका जवाब ये है कि इस अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बचने और सही कक्षा में प्रवेश करने के लिए बहुत अधिक गति और ऊर्जा की आवश्यकता होगी और साथ ही ISS के साथ स्पेसक्राफ्ट की डॉकिंग एक बहुत ही सटीक और जटिल प्रक्रिया है जिसमें हुई कोई भी गलती खतरनाक हो सकती है। इसलिए, स्पेसक्राफ्ट रे-धीरे ISS के करीब पहुंचना होगा, ताकि सुरक्षित डॉकिंग सुनिश्चित हो।
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Axiom-4 मिशन बुधवार, 25 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर के 12.01 बजे फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से 4 क्रू मेंबर को लेकर SpaceX का फाल्कन 9 रॉकेट अंतरिक्ष के लिए निकल चुका है, जो 28 से 29 घंटे की उड़ान के बाद अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन पहुंचेगा। फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रॉकेट की लॉन्चिंग पूरी तरह सफल रही। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस यात्रा में शुभांशु शुक्ला को ISS तक पहुंचने में लगभग 28 घंटे क्यों लगेंगे?
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ISS तक पहुंचने में 28 घंटे से ज्यादा क्यों लगेंगे?
- सबसे पहले जान लेते हैं अंतरिक्ष में स्थित स्पेस स्टेशन के बारे में, यह पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह 27,800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की परिक्रमा करता है। यानी अंतरिक्ष स्टेशन प्रत्येक 90 मिनट में धरती का एक चक्कर लगाता है।
- किसी भी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को मात देने और कक्षा में प्रवेश करने के लिए बहुत तेज़ गति से यात्रा करनी होती है।
- अंतरिक्ष यान को सही कक्षा में प्रवेश करने के लिए सटीक रूप से युद्धाभ्यास करना होता है, जिसमें समय और ऊर्जा लगती है। प्रक्षेपण के बाद, अंतरिक्ष यान को मार्गदर्शन प्रणालियों का उपयोग करके अपने रास्ते पर बने रहना होता है, जो जटिल प्रक्रियाएं हैं।
- अंतरिक्ष यात्रियों और उपकरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, यात्रा को सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध और निष्पादित करना होता है।
- विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष यान (जैसे सोयुज, ड्रैगन) की यात्रा में लगने वाला समय अलग-अलग होता है, कुछ को 6 घंटे तक लग सकते हैं, जबकि अन्य को 3 घंटे से अधिक तो कुछ को कई घंटे भी।
- संक्षेप में ये कह सकते हैं कि, 400 किलोमीटर की दूरी कम लग सकती है, लेकिन अंतरिक्ष में यात्रा करने के लिए आवश्यक गति, मार्गदर्शन, और सुरक्षा आवश्यकताओं के कारण इसमें कई घंटे लगते हैं।
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इन चुनौतियों का करना पड़ता है सामना
अंतरिक्ष यान को स्पेस स्टेशन तक पहुंचने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें मुख्य रूप से अंतरिक्ष यान की खराबी, अंतरिक्ष में नेविगेशन की समस्याएं, और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं।
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- लॉन्च के दौरान या रास्ते में, अंतरिक्ष यान के सिस्टम में खराबी आ सकती है, जैसे कि इंजन की खराबी, ईंधन का रिसाव, या संचार प्रणाली में समस्या।
- स्पेस स्टेशन तक पहुंचने के लिए सटीक नेविगेशन की आवश्यकता होती है। अगर अंतरिक्ष यान सही दिशा में नहीं है या अपनी गति को नियंत्रित नहीं कर पा रहा है, तो यह स्पेस स्टेशन से चूक सकता है।
- अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी (कम गुरुत्वाकर्षण) के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इससे मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी आ सकती है, और चक्कर आना या उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- अंतरिक्ष में उच्च स्तर का विकिरण होता है, जो अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यान के लिए हानिकारक हो सकता है।
- अंतरिक्ष में छोटे-छोटे मलबे के टुकड़े भी होते हैं, जो बहुत तेज गति से घूमते हैं। ये मलबे के टुकड़े अंतरिक्ष यान या स्पेस स्टेशन से टकराकर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- इन सभी चुनौतियों के बावजूद, वैज्ञानिक और इंजीनियर लगातार काम कर रहे हैं ताकि इन समस्याओं को कम किया जा सके और अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रूप से स्पेस स्टेशन तक पहुंचाया जा सके।
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ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट क्यों है खास?
- शुभांशु शुक्ला सहित चार लोगों को अंतरिक्ष में लेकर जा रहा स्पेसक्राफ्ट बेहद खास है। SpaceX की साइट के अनुसार ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने अबतक कुल 51 मिशन पूरे किए हैं और अब इसने अपने 52वें मिशन के लिए उड़ान भरी है। इससे पहले 46 बार यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गया है और 31 बार इसने धरती पर वापस आने के बाद फिर से अंतरिक्ष की यात्रा की है।
- ड्रैगन अंतरिक्ष यान एक बार में 7 अंतरिक्ष यात्रियों को धरती की कक्षा यानी अर्थ ऑर्बिट तक और उससे आगे तक ले जाने में सक्षम है और इसकी सबसे खास बात यह है कि यह न सिर्फ अंतरिक्ष में जाता है बल्कि यह वापस भी आता है और इसे फिर से इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
- ड्रैगन में ड्रेको थ्रस्टर्स लगे हैं और ये थ्रस्टर्स ड्रैगन को किसी ऑर्बिट में रहने के दौरान अपनी दिशा बदलने करने की भी अनुमति देते हैं। इसके साथ ही इसमें 8 सुपरड्रेकोज हैं जो अंतरिक्ष यान के लॉन्च एस्केप सिस्टम को शक्ति प्रदान करते हैं।
- इसकी उंचाई 8.1 मीटर है, यह 4 मीटर चौड़ा है, लॉन्च होते समय इसके पेलोड का वजन 6000 किलो का होता है, जबकि वापस धरती पर आते समय यह आधा वजन का हो जाता है यानी 3000 किलो का पेलोड।