सिंधु जल समझौते पर भारत ने पाकिस्तान को दिया झटका, कोर्ट ऑफ आर्बिटेशन के फैसले को किया खारिज


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Image Source : NHPC (SOCIAL MEDIA)
पाकिस्तान लंबे समय से भारत की किशनगंगा (330 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) परियोजनाओं पर सवाल उठाता रहा है।

नई दिल्ली: भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को साफ-साफ उसकी औकात बता दी है। सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को लेकर पाकिस्तान ने नया ड्रामा शुरू किया था, लेकिन भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं (Hydroelectric Projects) को लेकर तथाकथित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में शिकायत की थी। भारत ने इस कोर्ट के हालिया फैसले को गैरकानूनी और अवैध बताते हुए पूरी तरह नकार दिया है। भारत ने कहा है कि इस कोर्ट का ही कोई कानूनी अस्तित्व नहीं है।

पाकिस्तान ने पानी को लेकर क्या दावा किया था?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की देखरेख में सिंधु जल समझौता हुआ था। इसके तहत सिंधु नदी बेसिन की पश्चिमी नदियों (झेलम, चेनाब, और सिंधु) का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया। लेकिन पाकिस्तान लंबे समय से भारत की किशनगंगा (330 मेगावाट) और रतले (850 मेगावाट) परियोजनाओं पर सवाल उठाता रहा है। उसका दावा है कि ये परियोजनाएं समझौते का उल्लंघन करती हैं और पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को प्रभावित करती हैं। भारत का कहना है कि ये प्रोजेक्ट ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ तकनीक पर आधारित हैं, जो समझौते के नियमों के मुताबिक पूरी तरह वैध हैं।

पाकिस्तान का नया ड्रामा, भारत का करारा जवाब

पाकिस्तान ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन से इन परियोजनाओं पर तथाकथित ‘सप्लीमेंटल अवॉर्ड’ (पूरक फैसला) मांगा था, लेकिन भारत ने इस कोर्ट को ही गैरकानूनी करार दे दिया। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, ‘यह कोर्ट अवैध रूप से बनाया गया है और इसके किसी भी फैसले का कोई कानूनी आधार नहीं है। इसके फैसले शुरू से ही शून्य और अमान्य हैं।’ भारत ने साथ ही वर्ल्ड बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ मिशेल लिनो को पत्र लिखकर मौजूदा विवाद समाधान प्रक्रिया को रोकने की मांग की है। इसमें लिखित दस्तावेज जमा करने और संयुक्त बैठकों जैसे कदम शामिल हैं, जो इस साल के लिए निर्धारित थे।

आतंकी हमले के बाद निलंबित किया समझौता

भारत ने अप्रैल 2022 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, सिंधु जल समझौते को निलंबित (सस्पेंड) कर दिया था। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक भारत इस समझौते के तहत कोई जिम्मेदारी निभाने को बाध्य नहीं है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगा है और अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठे ड्रामे रच रहा है।’ जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा, ‘पाकिस्तान की ये सारी कोशिशें महज दिखावा हैं। भारत अपने रुख पर अडिग है।’

क्या है भारत का संदेश?

भारत ने साफ कर दिया है कि वह पश्चिमी नदियों के अपने हिस्से का पूरा इस्तेमाल करने का हक रखता है। खासकर तब, जब आतंकवाद के चलते यह समझौता अब व्यवहारिक नहीं रह गया है। भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान की चाल को नाकाम किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि वह अपनी संप्रभुता (Sovereignty) और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान को यह समझ लेना चाहिए कि भारत अब और बर्दाश्त नहीं करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब अपने जल संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की दिशा में कदम उठा सकता है, जिससे पाकिस्तान को और मिर्ची लगेगी।

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