1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा जनगणना का पहला फेज, पहली बार होगी डिजिटल सुविधा, जानें डिटेल यहां


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नई दिल्ली: भारत की आगामी और आजादी के बाद की 8वीं जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होगा, जिसमें देश भर के घरों की गिनती का कार्य किया जाएगा। भारत के महापंजीयक (Registrar General of India) ने यह जानकारी दी।

भारत के जनगणना आयुक्त और महापंजीयक, मृत्युंजय कुमार नारायण ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में बताया है कि घरों के सूचीकरण अभियान (House-listing Operation- HLO) और आवास गणना (Housing Census) 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होगी। इस चरण में प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और उपलब्ध सुविधाओं से संबंधित जानकारी जुटाई जाएगी।

दो चरणों में होगी जनगणना

पहला चरण (1 अप्रैल, 2026 से): घरों का सूचीकरण अभियान

  • इस चरण में घरों की आवासीय स्थिति, संपत्ति की जानकारी,और उपलब्ध सुविधाओं जैसे- फोन, इंटरनेट, वाहन (साइकिल, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, जीप, वैन), और अन्य उपकरणों (रेडियो, टीवी, ट्रांजिस्टर) के स्वामित्व के बारे में विवरण एकत्र किए जाएंगे। 
  • इसके अलावा, लोगों से अनाज उपभोग, पेयजल और प्रकाश के स्रोत, शौचालयों के प्रकार और उपलब्धता, अपशिष्ट जल निपटान, स्नान और रसोई की सुविधाओं, खाना पकाने के लिए प्रयुक्त ईंधन और एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन के बारे में भी पूछा जाएगा।
  • घर के फर्श, दीवारों और छत के लिए प्रयुक्त सामग्री, इसकी स्थिति, घर में रहने वालों की संख्या, कमरों की संख्या, विवाहित जोड़ों की उपस्थिति और क्या घर की मुखिया महिला है या अनुसूचित जाति या जनजाति से संबंधित है, जैसे अतिरिक्त प्रश्न भी पूछे जाएंगे।

दूसरा चरण (1 फरवरी, 2027 से): जनसंख्या गणना 

  • इस चरण में हर घर में प्रत्येक व्यक्ति का जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा।
  •  यह चरण लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में 1 अक्टूबर, 2026 की संदर्भ तिथि और देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च, 2027 की संदर्भ तिथि के साथ होगा।

डिजिटल और स्व-गणना का प्रावधान

आगामी जनगणना की  विशेषता यह है कि यह ‘मोबाइल एप्लीकेशन’ की मदद से डिजिटल माध्यम से की जाएगी। यह पारंपरिक कागजी प्रक्रिया से हटकर एक बड़ा बदलाव है। नागरिकों को स्व-गणना (Self-enumeration) का प्रावधान भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वे खुद अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। महापंजीयक और जनगणना आयुक्त कार्यालय ने नागरिकों से पूछे जाने वाले लगभग तीन दर्जन प्रश्न तैयार किए हैं।

प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में नहीं होगा बदलाव

जनगणना कार्य की सटीकता और सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में कोई भी प्रस्तावित परिवर्तन 31 दिसंबर, 2025 से पहले पूरा कर लें। इसके बाद किए गए बदलावों को जनगणना कार्य के लिए अंतिम नहीं माना जाएगा।

भारत के जनगणना आयुक्त और महापंजीयक, मृत्युंजय कुमार नारायण ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि जनगणना के लिए सभी गांवों और कस्बों को एक समान गणना प्रखंडों  में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक प्रखंड के लिए एक गणक नियुक्त किया जाता है, ताकि जनसंख्या की गणना के दौरान किसी भी चूक या दोहराव से बचा जा सके। नियमों के अनुसार, जनगणना प्रशासनिक इकाइयों जैसे जिला, उप-जिला, तहसील, तालुका और थाना की सीमा निर्धारित होने के तीन महीने बाद ही की जा सकती है।

मुख्य सचिवों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि 1 जनवरी, 2026 और 31 मार्च, 2027 के बीच प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए, जिस दौरान जनगणना का कार्य होगा। मौजूदा सीमाओं में किसी भी तरह के बदलाव की सूचना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जनगणना निदेशालयों एवं भारत के महापंजीयक को 31 दिसंबर, 2025 तक देनी होगी।

व्यापक पैमाने पर होगी तैनाती

जनगणना कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए 34 लाख से अधिक गणक (Enumerators) और पर्यवेक्षक (Supervisors) एवं लगभग 1.3 लाख जनगणना कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे। यह अब तक की 16वीं और आजादी के बाद की 8वीं जनगणना होगी। (इनपुट- भाषा)

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