
Dalai Lama (R) Xi Jinping (L)
बीजिंग: चीन ने एक बार फिर चालबाजी दिखाई है। चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को बुधवार को खारिज करते हुए इस पर जोर दिया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी। इस तरह चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ तिब्बती बौद्ध के दशकों पुराने संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया है।
दलाई लामा ने क्या कहा?
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही दलाई लामा ने इस संबंध में अनिश्चितता को समाप्त कर दिया कि उनके बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं। गादेन फोडरंग ट्रस्ट की स्थापना दलाई लामा ने 2015 में की थी। रविवार को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन से पहले उनकी यह घोषणा बीजिंग के साथ तनाव बढ़ाने वाली है।
चीन ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस वार्ता में कहा, “दलाई लामा के पुनर्जन्म को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, ‘स्वर्ण कलश’ प्रक्रिया और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना होगा।’’
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने क्या कहा?
माओ ने कहा कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता पंचेन लामा के पुनर्जन्म के लिए 18वीं सदी के किंग राजवंश द्वारा शुरू की गई स्वर्ण कलश विधि प्रक्रिया की सदियों पुरानी परंपरा से गुजरना पड़ता है। माओ ने कहा कि वर्तमान 14वें दलाई लामा को उनके पूर्ववर्ती के निधन के बाद पारंपरिक अनुष्ठानों के बाद मान्यता दी गई थी, लेकिन उनकी मान्यता तत्कालीन केंद्रीय सरकार द्वारा सीधे दी गई थी, जिससे उन्हें स्वर्ण कलश प्रक्रिया से छूट मिल गई।
चीन ने लगा दिया प्रतिबंध
माओ ने यह भी बताया कि किस प्रकार इस पारंपरिक समारोह को 2007 में चीन के आधिकारिक नियमों में शामिल किया गया, साथ ही इसमें विदेशी व्यक्तियों और पार्टियों के हस्तक्षेप पर स्पष्ट प्रतिबंध लगा दिया गया। दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना से संबंधित प्रश्न और माओ का जवाब बुधवार को चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट की गई प्रेस वार्ता के आधिकारिक अंश से गायब है। माओ ने चीनी राष्ट्रपति शी जिरपिंग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत तिब्बती बौद्ध धर्म और अन्य धर्मों के ‘चीनीकरण’ का भी बचाव किया।
दलाई लामा की तरफ कब गया दुनिया का ध्यान?
दलाई लामा की तरफ दुनिया का ध्यान 1959 में उस समय गया जब वह कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी सेना द्वारा तिब्बत पर कब्जा कर लेने के बाद तिब्बतियों के एक बड़े समूह के साथ भारत में शरण लेने के लिए आए थे। तब से वह धर्मशाला में रह रहे हैं। उनकी उपस्थिति चीन और भारत के बीच विवाद का विषय बनी रही है। दलाई लामा के उत्तराधिकारी को भी तिब्बती स्वायत्तता के लिए संघर्ष को जारी रखना पड़ सकता है।
चीन और अमेरिका में बढ़ सकता है तनाव
दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे से चीन और अमेरिका के बीच भी नए तनाव की आशंका है क्योंकि अमेरिका की तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम 2020, चीन की नीति के उलट है। अमेरिकी अधिनियम में दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए अमेरिका के दृढ़ समर्थन की पुष्टि की गई है। (भाषा)
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