दिल्ली में पुराने वाहनों को ईंधन देने पर बैन, मजबूरी में इस शख्स को बेचनी पड़ रही अपनी Range Rover


ban on providing fuel to old vehicles in Delhi this person is forced to sell his Range Rover
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इस शख्स को बेचनी पड़ रही अपनी Range Rover

दिल्ली में 10 पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर सरकार ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में मंगलवार को ये जानकारी सामने आई थी कि दिल्ली में 1 जुलाई के बाद से इस तरह के पुराने वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। कुछ लोगों द्वारा इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है। वहीं कुछ लोगों ने इसे लेकर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है। नई नीति के तहत दिल्ली में 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को पेट्रोल या डीजल पेट्रोल पंपों पर नहीं दिया जाएगा। इसके लिए सभी पेट्रोल पंप्स पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दरअसल दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकने लिए ये फैसला लिया गया है।

वाहन के मालिक ने शेयर किया अनुभव

दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद वाहनों के मालिकों में इसे लेकर नाराजगी है। इसी कड़ी में रितेश गंडोत्रा नाम के एक शख्स ने अपनी पूरी कहानी एक्स पर साझा की है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, “मेरी कार अपने 8वें साल में है। यह डीजल वाहन है जिसका सावधानीपूर्वक रखरखाव किया गया है और यह कार ओडो पर सिर्फ 74,000 किमी चली है। कोविड के दौरान यह 2 साल तक केवल खड़ी रही। कार की लाइफ आसानी से 2 लाख किमी से अधिक का बची है। लेकिन एनसीआर में 10 साल के डीजल प्रतिबंध के कारण, अब मुझे इसे बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और वह भी एनसीआर के बाहर के खरीदारों को, जो बहुत कम कीमतों पर इसे खरीद रहे हैं। इससे भी बदतर यह है कि नई कार खरीदने पर 45% जीएसटी + सेस लगता है। यह पर्यावरण के अनुकूल नीति नहीं है। यह ‘जिम्मेदार लोगों और कॉमन सेंस पर जुर्माना है।’

एक्स पर लिखा- मजबूरी में बेंच रहा हूं

बता दें कि एक्स पर इस पोस्ट को करीब 347 हजार बार देखा जा चुका है। इस पोस्ट के कमेंट सेक्शन में कई यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और अपने विचारों को साझा किया है। कमेंट सेक्शन में एक यूजर के कमेंट पर जवाब देते हुए गंडोत्रा ​​ने लिखा, “कोविड के समय कार 2 साल तक सिर्फ खड़ी रही। इसलिए कायदे से मैंने इसे सिर्फ 6 साल ही चलाया है और अब एनसीआर में 10-वर्षीय डीजल नियम के कारण, मुझे इसे पिछले सप्ताह Cars24 पर सूचीबद्ध करना पड़ा – अपनी पसंद से नहीं, बल्कि मजबूरी में।”





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