
देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस का बयान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने बुधवार को कहा कि स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि इससे देश भर के लोगों को आपस में जोड़ने में मदद मिलती है। यह टिप्पणी विपक्ष को सरकार को घेरने का नया मौका दे सकती है। अमृता का यह बयान भाजपा नीत सरकार द्वारा उस सरकारी आदेश (जीआर) को वापस लेने के तीन दिन बाद आया है, जिसके तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल किया गया था। अमृता फडणवीस ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘महाराष्ट्र के लिए मराठी नंबर एक (भाषा) है, इसमें कोई संदेह नहीं है। वैश्विक स्तर पर संवाद करने के लिए अंग्रेजी उपयोगी है। लेकिन उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक देश भर के लोगों से जुड़ने के लिए, मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि हिंदी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि छात्रों को उपलब्ध भाषा विकल्पों में से चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
उद्धव और राज ठाकरे ने जारी किया संयुक्त पत्र
बता दें कि महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है। कभी किसी को हिंदी बोलने के लिए मारा-पीटा जा रहा है तो कभी स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर विरोध किया जा रहा है। इसी कड़ी में बीते दिनों शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे एक साथ आ गए थे। इस बीच राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने पहली बार संयुक्त रूप से पत्र जारी किया। यह संयुक्त पत्र मराठी लोगों को संबोधित करते हुए लिखा गया है। दरअसल उद्धव और राज ठाकरे ने इस पत्र के जरिए 5 जुलाई को होने वाले जनसभा का निमंत्रण लोगों को दिया है। बता दें कि राज ठाकर की पार्टी के ही कार्यकर्ताओं द्वारा अक्सर हिंदी बोलने वाले लोगों को मारा-पीटा भी जा रहा है।
सरकार ने वापस लिया आदेश
बता दें कि इससे पहले तीन भाषा को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पुराने दोनों फैसलों को रद्द कर दिया था। इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से डॉक्टर नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई। यह समिति तीन भाषा सूत्र पर अपना रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इसकी जानकारी दी थी। बता दें कि महाराष्ट्र के स्कूलों में कक्षा 1 से कक्षा 5 तक हिंदी भाषा शुरू करने के खिलाफ बढ़ते विरोध बीच, रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने त्रिभाषा नीति के कार्यान्वयन पर दो जीआर (सरकारी आदेश) वापस लेने का फैसला किया था।
(इनपुट-भाषा)
