
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद का मामला
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले पर हिंदू पक्ष की अर्जी को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष द्वारा मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने वाली मांग पर अपना फैसला सुनाया है। मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग वाली एप्लीकेशन A-44 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया है।
कोर्ट में वकील ने क्या किया अनुरोध?
सूट नंबर 13 में वादी वकील महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा शाही मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था। सूट नंबर 13 के वादी द्वारा आवेदन A-44 प्रस्तुत किया गया था, जिसमें संबंधित स्टेनोग्राफर को इस मूल मुकदमे की संपूर्ण आगे की कार्यवाही में शाही ईदगाह मस्जिद के स्थान पर ‘विवादित ढांचा’ शब्द का उपयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
मुस्लिम पक्ष को मिली बड़ी राहत
हालांकि, मुस्लिम पक्ष द्वारा इस आवेदन पर लिखित आपत्ति दायर की गई थी। कोर्ट द्वारा हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज होने के बाद मुस्लिम पक्ष को बड़ी राहत मिली है। हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।
अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा हिंदू पक्ष
वकील महेंद्र प्रताप सिंह जो श्री कृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार हैं। उन्होंने कहा कि शाही मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने वाली याचिका को हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। अब वह कोर्ट के डिटेल्ड ऑर्डर पढ़ेंगे और सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
जानिए क्या है पूरा विवाद?
बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। इस जमीन का 11 एकड़ हिस्सा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास है, जबकि 2.37 एकड़ पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी है।
हिंदू और मुस्लिम पक्ष का क्या है दावा?
हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1669-70 में प्राचीन केशवदेव मंदिर को तोड़कर करवाया था। उनका कहना है कि यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है और पूरी जमीन मंदिर की है। वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता है और कहता है कि मस्जिद का निर्माण वैध है।