न बिनोद-न बनराकस और न ही प्रह्लाद चा, ‘पंचायत 4’ का ये किरदार पत्नी-बच्चे छोड़ आया था मुंबई, ऐसे मिली पहचान


panchayat 4 Bulloo kumar
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‘पंचायत 4’ का ये किरदार पत्नी-बच्चे छोड़ आया था मुंबई

‘पंचायत 4’ 18 मई को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया और इसने फिर से अपनी बेहतरीन और धांसू कहानी से दर्शकों का दिल जीत लिया। इस सीरीज की खास बात यह है कि इसकी कास्ट की प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ काफी संघर्ष भरी रही है। इसके लीड किरदारों के अलावा, सहायक कलाकारों ने भी अपने अभिनय से सीरीज की कहानी और किरदार में जान फूंक दी। हालांकि, हम पंचायत सीजन 4 के जिस एक्टर की बात कर रहे हैं। उन्होंने एक्टर बनाने के लिए अपना परिवार छोड़ दिया और मुंबई आ गए। कुछ लोगों के दिमाग में अभी तक सिर्फ बिनोद, बनराकस और प्रह्लाद चा का नाम आया होगा। लेकिन, हम बात कर रहे हैं माधव उर्फ ​​बुल्लू कुमार की।

आर्थिक तंगी ने बना दिया एक्टर

TVF के सबसे लोकप्रिय कॉमेडी-ड्रामा ‘पंचायत सीजन 4’ में माधव का किरदार निभाने वाले ​​बुल्लू कुमार आज दर्शकों के दिलों में खास जगह बना चुके हैं। सीरीज में अपने दमदार डायलॉग और फनी अंदाज से सभी को हंसाने वाले माधव रियल लाइफ में पैसों की तंगी के कारण दुर्दशा हो गई थी। उनके पास अपने बच्चों को पढ़ाने के पैसे तक नहीं थे। हालांकि, इस सीरीज की शानदार सफलता के बाद लोग उन्हें पहचानने लगे हैं। पंचायत 4 के माधव ने अपनी पत्नी और 3 बच्चों को संभालते हुए ओटीटी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ये एक मात्र ऐसी सीरीज है, जिसमें किसी लीड किरदार की नहीं बल्कि पूरे फुलेरा गांव की कहानी को दिखाया गया है। इस वजह से पंचायत की पूरी कास्ट लोगों के बीच चर्चा में है।

परिवार को छोड़ सपना किया पूरा

डिजिटल कमेंट्री से बातचीत में बुल्लू ने बताया कि शुरुआत में पिता और रिश्तेदार बहुत ताने देते थे कि नचनिया बनने गया है। दोस्तों ने कहा परिवार छोड़ नौटंकी करेंगा। लेकिन, पंचायत के बाद मेरी किस्मत बदल गई। पर मैं अपने परिवार को मुंबई नहीं ला पाया क्योंकि इतना खर्च नहीं उठा पा रहा हूं। मेरी लाइफ में बहुत मेलोड्रामा चलता रहा है। लेकिन, हार नहीं मानी। एक वक्त था जब मेरे पास बच्चों की स्कूल के फीस भरने के भी पैसे नहीं थे। अब मैंने अपने बच्चों को कह दिया है कि खुद कमाना… मेरे पैसों पर ऐश करने की मत सोचना। उन्होंने आगे कहा कि भाई, पिता, मां की मौत बीमारी से जूझते हुए हुई है और उसका गम मुझे आज तक है।





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