दिल्ली में सेकेंड हैंड कारों की कीमत में 50% तक की बड़ी गिरावट आ गई है। ये गिरावट राष्ट्रीय राजधानी में पुरानी कारों पर लगी रोक के कारण आई है। उद्योग संगठन सीटीआई ने शुक्रवार को कहा कि पुरानी गाड़ियों की कीमतों में 40 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली में पुराने वाहनों का बाजार इन बंदिशों की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पुराने वाहनों पर फैसला बदलने से करीब 60 लाख वाहन प्रभावित हुए हैं। दिल्ली में पेट्रोल वाहनों के लिए 15 साल और डीजल वाहनों के लिए तय की गई है।
कहां मिल रही सस्ती कारें
अगर आप दिल्ली से बाहर दूसरे राज्यों में सेंकेंड हैंड कार खरीद कर ले जाना चाहते हैं तो यह सुनहरा मौका है। आप करोल बाग, प्रीत विहार, पीतमपुरा और मोती नगर जैसे इलाकों में 1,000 से अधिक सेंकेड हैंड कार बेचने वाले डीलर हैं। आप इन जगहों से मौजूदा समय में काफी सस्ती कीमत पर कार खरीद सकते हैं।
इन राज्यों से आते हैं खरीदार
दिल्ली से पुरानी कारें आमतौर पर पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में बेची जाती हैं। हालांकि, बाहरी राज्यों से मांग के साथ आक्रामक सौदेबाजी भी हो रही है।
लग्जरी कारों पर भी बंपर छूट
पुरानी कारों पर रोक का असर लग्जरी सेंकेंड हैंड कारों पर हुआ है। गोयल के अनुसार, लक्जरी पुरानी कारें पहले छह से सात लाख रुपये में बिकती थीं लेकिन अब मुश्किल से चार से पांच लाख रुपये में बिक रही हैं। दूसरे राज्यों के खरीदार दिल्ली के व्यापारियों के सामने आने वाली चुनौतियों से वाकिफ हैं और उसी के हिसाब से मोल-भाव कर रहे हैं।
आदालत के आदेश पर प्रतिबंध
दिल्ली सरकार ने अदालत के आदेश के बाद इन पुराने वाहनों को ईंधन देने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन वाहनों को दिल्ली में 1 जुलाई से सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है। हालांकि इन प्रावधानों का व्यापक विरोध होने पर दिल्ली सरकार ने बृहस्पतिवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया। इन पाबंदियों के कारण पुराने वाहनों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खुद एक वाहन कारोबारी गोयल ने दावा किया कि व्यापारियों को काफी कम कीमतों पर ये कारें बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
एनओसी मिलने में आ रही परेशानी
पुराने वाहनों के कारोबार से जुड़े हुए हैं। कार डीलरों ने परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में कठिनाइयों पर भी चिंता जताई है, जो पुराने वाहनों को अन्य राज्यों में बेचने के लिए जरूरी है। पहले यह प्रक्रिया अपेक्षाकृत आसान थी, लेकिन अब व्यापारियों का कहना है कि उन्हें देरी और जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है।