भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर ही क्यों? अब RBI ने किया खुलासा, जानें असली वजह


Indian Currency

Photo:FILE भारतीय नोट

क्या आपको पता है कि भारतीय रुपये पर महत्मा गांधी की ही तस्वीर क्यों दिखाई देती है? किसी और स्वतंत्रता सेनानी, कवि या नेता की क्यों नहीं? अब इस सवाल का जवाब खुद आरबीआई ने दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया है कि भारतीय रुपये पर किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर लगाने के लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा समेत कई नामों पर विचार किया गया था लेकिन सहमति महात्मा गांधी के नाम पर बनी थी। उसी आम सहमति का नतीजा है कि नोट पर गांधी की तस्वीर लंबे समय से बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कामकाज पर बने एक डॉक्यूमेंट्री में यह बताया है। 

इसलिए प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर लगाई गई

केंद्रीय बैंक ने कहा, बाद में यह महसूस किया गया कि अगर बैंक नोट पर किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर हो तो उसे पहचानना आसान हो जाता है। नकली नोट का अगर डिजाइन ठीक नहीं है तो प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर से लोगों के लिए असली और नकली नोट की पहचान करना सरल हो जाता है। भारतीय संदर्भ में नोट के डिजाइन और सुरक्षा विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए कई ऐसी हस्तियां थी, जिनकी तस्वीर नोट पर आ सकती थी। इसके लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा और अबुल कलाम आजाद समेत कई प्रसिद्ध लोगों पर विचार किया गया लेकिन अंतत: सहमति महात्मा गांधी पर बनी। 

आजादी से पहले किसकी होती थी तस्वीर

आजादी से पहले ब्रिटिश भारत में रुपये पर उपनिवेशवाद और उससे जुड़े ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भों का जिक्र होता था। इसमें वनस्पति और जीव-जन्तुओं (बाघ, हिरण) की तस्वीर होती थी। रुपये पर ब्रिटिश साम्राज्य की भव्यता को ‘सजावटी हाथियों’ और राजा के अलंकृत चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता था। आरबीआई के अनुसार, लेकिन जब भारत आजाद हुआ, धीरे-धीरे रुपये में छपी तस्वीरों में भी बदलाव आया। शुरू में रुपये पर अशोक स्तंभ के शेर के प्रतीक चिन्ह, चर्चित स्थलों आदि का उपयोग हुआ। धीरे-धीरे भारत के विकास और प्रगति के साथ रुपये ने चित्रों के माध्यम से विकास की कहानी को बयां करना शुरू किया। देश में विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति और हरित क्रांति की उपलब्धियों को नोट पर आर्यभट्ट और खेती करते किसानों आदि की तस्वीरों के जरिये बखूबी उकेरा गया। 

1969 में पहली बार नोट पर महात्मा गांधी की लगी तस्वीर

रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, पहली बार 1969 में महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी के अवसर पर 100 रुपये का स्मारक नोट जारी किया था। इसमें उनकी तस्वीर को सेवाग्राम आश्रम के साथ दिखाया गया था। उनकी तस्वीर नियमित रूप से रुपये पर 1987 से दिखाई देने लगी। उस वर्ष अक्टूबर में गांधी की तस्वीर के साथ 500 रुपये के नोट जारी किये गये। रिप्रोग्राफिक तकनीक के विकास के साथ, पारंपरिक सुरक्षा सुविधाएं अपर्याप्त मानी जाने लगीं। नई सुरक्षा विशेषताओं के साथ 1996 में एक नई ‘महात्मा गांधी श्रृंखला’ शुरू की गई। 

इस तरह देशभर में पहुंचाया जाता है रुपया 

आरबीआई ने अपने कामकाज और भूमिकाओं को लोगों के सामने लाने के लिए हाल में जारी डॉक्यूमेंट्री के जरिये यह भी बताया है कि वह प्रिंटिंग प्रेस से देश के हर कोने में रुपये को पहुंचाने के लिए ट्रेन, जलमार्ग, हवाई जहाज समेत बड़ी परिवहन प्रणालियों का उपयोग करता है। यह पहली बार है जब आरबीआई के कार्यों को डॉक्यूमेंट्री के रूप में लाया गया है। डॉक्यूमेंट्री का नाम ‘आरबीआई अनलॉक्ड: बियॉन्ड द रुपी’ है। 

Latest Business News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *