महागठबंधन के प्रोटेस्ट मार्च में कन्हैया और पप्पू यादव को मंच पर जाने से रोका गया, जेडीयू ने ली चुटकी, जानें क्या कहा?


Kanhaiya kumar, pappu yadav
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कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच पर जाने से रोका

पटना:  चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट की जांच के विरोध में महागठबंधन की ओर से बुलाए गए बिहार बंद के दौरान नेताओं ने प्रोटेस्ट मार्च निकाला। इस दौरान नेताओं के मंच पर जाने से कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को रोक दिया गया। इन दोनों नेताओं को राहुल गांधी की मौजूदगी में मंच पर जाने से रोका गया। अब इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइडेट ने भी तंज कसा है। 

राहुल गांधी समेत ये विपक्षी नेता हुए शामिल

बुधवार को पूरे बिहार में वोटर लिस्ट की जांच के खिलाफ प्रदर्शन हुए। इस विरोध प्रदर्शन में राहुल गांधी सहित विपक्षी महागठबंधन के शीर्ष नेता राज्य की राजधानी में एकत्र हुए। राहुल गांधी के साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव एम ए बेबी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य भी शामिल हुए। इसी दौरान कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच पर चढ़ने से रोक दिया गया। 

जेडीयू ने क्या कहा?

वहीं कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच पर चढ़ने से रोकने की घटना पर जनता दल यूनाइटेड ने तंज कसा है। जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा-तेजस्वी यादव को ये दोनों ही नेता (कन्हैया कुमार और पप्पू यादव) नहीं पसंद हैं जबकि राहुल गांधी को बेहद पंसद हैं। बावजूद इसके तेजस्वी की चली और कांग्रेस कुछ नहीं कर पाई। 

चुनाव आयोग दफ्तर तक निकाला मार्च

बता दें कि महागठबंधन की विशाल रैली इनकम टैक्स चौराहे से शुरू हुई। इन नेताओं ने अपने-अपने दलों के कार्यकर्ताओं के विशाल जनसमूह के बीच एक खुले वाहन में सवार होकर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च निकाला। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि उसमें भाजपा द्वारा नामित लोग शामिल हैं और वह जनता की नहीं बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी की सेवा कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग मतदाता सूची में छेड़छाड़ करके बिहार में महाराष्ट्र मॉडल को दोहराने की कोशिश कर रहा है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन की विधानसभा चुनावों में भारी जीत मतदाता सूची में कथित हेराफेरी के कारण हुई जबकि उसे कुछ महीने पहले ही लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। 





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