धर्म परिवर्तन के आरोपों पर छांगुर बाबा की सामने आई पहली प्रतिक्रिया, ATS ने नहीं मांगा रिमांड; जेल भेजा गया


जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा
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जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा

लखनऊः धर्म परिवर्तन का मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को जेल भेज दिया गया है। छांगुर की करीबी नीतू को भी जेल भेजा गया है। कोर्ट में एटीएस के अधिकारी ने बुधवार को आकर बताया कि उन्हें अभी छांगुर बाबा की रिमांड नहीं चाहिए। एटीएस ने छांगुर को कोर्ट में नहीं किया। इसके बाद अदालत ने दोनों आरोपियों को भेज दिया। 

छांगुर बाबा ने आरोपों पर दी पहली प्रतिक्रिया

छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन ने बुधवार को अपने खिलाफ लगे आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उन्हें कुछ भी नहीं पता। यह टिप्पणी उस समय आई जब उन्हें एटीएस द्वारा मेडिकल जांच के लिए ले जाया जा रहा था। बता दें कि छांगुर बाबा को एटीएस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि वह लालच देकर बड़ी संख्या में लोगों का अवैध धर्मांतरण कराया है। 

अधिकारियों के अनुसार, जांच में एक ऐसा परिष्कृत नेटवर्क सामने आया है जो कथित तौर पर कमजोर व्यक्तियों, खासकर हिंदू महिलाओं और नाबालिगों को निशाना बनाकर उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करता था। ये धर्मांतरण कथित तौर पर धोखे, भावनात्मक हेरफेर और वित्तीय प्रलोभनों के माध्यम से किए गए थे।

एटीएस के साथ ईडी भी कर रही मामले की जांच

आरोपों का एक प्रमुख तत्व बड़े पैमाने पर वित्तीय लेन-देन से जुड़ा है। एटीएस और ईडी द्वारा की गई जांच से पता चला है कि छांगुर बाबा और उनके सहयोगियों से जुड़े लगभग 40 बैंक खातों में कथित तौर पर 500 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए गए थे। ये धनराशि कथित तौर पर विदेशी स्रोतों, मुख्यतः खाड़ी देशों और संभवतः पाकिस्तान से आई थी। जांचकर्ताओं को संदेह है कि इस धन का उपयोग धर्मांतरण संबंधी गतिविधियों के लिए किया गया था।   

छांगुर बाबा से प्रशासन वसूलेगी 8.55 लाख रुपये

बलरामपुर जिले में प्रशासन ने अवैध धर्मांतरण के आरोपी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों से सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण में खर्च हुए 8.55 लाख रुपये धनराशि की वसूली करने का फैसला किया है। बलरामपुर के डीएम पवन अग्रवाल ने बताया कि उतरौला क्षेत्र के मधपुर गांव स्थित गाटा संख्या 370 एवं 337 में अवैध कब्जा कर भवन का निर्माण किया गया था, जिसको हटाने के लिए प्रशासन द्वारा नोटिस जारी कर एक सप्ताह में अवैध कब्जा हटाने का निर्देश दिया गया था।

जिलाधिकारी ने कहा कि नोटिस जारी करने के एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी कब्जा नहीं हटाया गया। विवश होकर प्रशासन को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करनी पड़ी। अग्रवाल ने कहा कि अवैध रूप से बने भवन के ध्वस्तीकरण में आठ बुलडोजर के माध्यम से तीन दिन में कुल 24 बुलडोजर के जरिए अवैध कब्जा हटाया गया। डीएम के मुताबिक इस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में कुल खर्च आठ लाख 55 हजार रुपये आया है। उन्होंने कहा कि इस धनराशि को जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले लोगों से वसूला जाएगा। 





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