दक्षिण पश्चिम तट से प्रशांत महासागर तक चीन ने बढ़ाई सैन्य गतिविधियां, जापान ने कहा-ये सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा


प्रशांत महासागर में चीन की सेना।
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प्रशांत महासागर में चीन की सेना।

टोक्यो: चीन की दादागिरी सिर्फ दक्षिण चीन सागर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह जापान के दक्षिण-पश्चिम तट से लेकर प्रशांत महासागर तक अपनी सैन्य गतिविधियां लगातार बढ़ा रहा है। जापान ने इसे सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा माना है। जापान ने मंगलवार को जारी अपनी वार्षिक रक्षा रिपोर्ट में चीन की तेज़ी से बढ़ती इन सैन्य गतिविधियों को लेकर चेतावनी जारी की है। जापान ने चीन की इस हरकत को देश के लिए बड़ी रणनीतिक चुनौती माना है।

चीन और रूस में सैन्य सहयोग स्थिति कर सकता है और खराब

जापान के रक्षा मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा कि चीन का रूस के साथ सैन्य सहयोग का बढ़ना, ताइवान को लेकर जारी तनाव और उत्तर कोरिया से आने वाले खतरों के साथ मिलकर देश की सुरक्षा के लिए चीन की यह सैन्य गतिविधियां गंभीर चिंता का विषय हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौतियों के युग में प्रवेश कर चुका है। यह भी उल्लेख किया कि अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के बढ़ते तनाव से वैश्विक शक्ति संतुलन में बड़ा बदलाव आ रहा है। यह खतरे विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में केंद्रित हैं, जहां जापान स्थित है और भविष्य में स्थिति और भी खराब हो सकती है।

चीन ने दी प्रतिक्रिया

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने जापान के इस दावे की आलोचना करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट “चीन के प्रति गलत धारणा अपनाती है और उसके आंतरिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप करती है। यह भी कहा कि यह रिपोर्ट तथाकथित ‘चीनी खतरे’ को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करती है।” लिन जियान ने कहा कि बीजिंग ने इस मुद्दे पर जापान के सामने विरोध दर्ज कराया है और चीन की सैन्य गतिविधियों को “वैध और तार्किक” बताया। लिन ने जापान से अपील की कि वह अपने युद्धकालीन इतिहास से सबक ले और क्षेत्रीय तनाव को भड़काने व सैन्य विस्तार को सही ठहराने के लिए चीन से जुड़े मुद्दों को बहाना बनाना बंद करे।

प्रशांत को भी अशांत कर रहा चीन

रिपोर्ट के अनुसार चीन प्रशांत क्षेत्र को भी अशांत कर रहा है। इस महासागर में चीनी युद्धपोतों की उपस्थितियां लगातार बढ़ रही हैं और जापान के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों खासतौर पर ताइवान और जापान के योनागुनी द्वीप के बीच में उसकी आवाजाही पिछले तीन वर्षों में तीन गुना अधिक हो चुकी है।

कुछ दिनों पहले चीन और जापान के विमानों को लेकर हुआ था विवाद

कुछ दिन पहले ही जापान ने चीन से अपने लड़ाकू विमानों को जापानी खुफिया विमानों के अत्यधिक निकट उड़ाने पर रोक लगाने की मांग की थी, क्योंकि इससे टकराव का खतरा पैदा हो सकता है। बीजिंग ने जवाब में आरोप लगाया कि जापान चीन की हवाई सीमा के पास जासूसी कर रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन द्वारा प्रशांत क्षेत्र में एयरक्राफ्ट कैरियर की तैनाती उसके समुद्री शक्ति विस्तार की महत्वाकांक्षा को दर्शाती है। 

जापानी क्षेत्र में घुस गया था चीन का लड़ाकू विमान

पिछले वर्ष दो घटनाओं का ज़िक्र करते हुए रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एक बार चीन का सैन्य विमान जापानी हवाई क्षेत्र में घुस गया और एक बार चीन का विमानवाहक पोत जापान की समुद्री सीमा के पास पहुंच गया, जो नागासाकी के पास स्थित द्वीपों और नांसेई श्रृंखला के दक्षिण-पश्चिम में था।

उत्तर कोरिया और रूस की गतिविधियां

जापान की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया एक “गंभीर और आसन्न खतरे” के रूप में उभर रहा है। उसने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइलें और ठोस ईंधन से चलने वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित कर ली हैं, जो अमेरिका की मुख्यभूमि तक पहुंच सकती हैं। इसके साथ ही, रिपोर्ट में कहा गया कि रूस जापान के आस-पास सैन्य गतिविधियों को सक्रिय रूप से जारी रखे हुए है और पिछले सितंबर में उसने जापानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन भी किया था। (एपी) 

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