
नलिनी जयवंत
बॉलीवुड एक्ट्रेस नलिनी जयवंत ने अपने करियर में 70 से ज्यादा फिल्मों में काम किया और खूब तारीफें बटोरीं। लेकिन एक्ट्रेस की जिंदगी का अंत काफी दुखमय रहा है। नलिनी की लाश 3 दिन बाद उनके बंगले पर मिली थी। ये बात 15 साल पुरानी है 22 दिसंबर 2010 की है। जब मुंबई के चेंबूर स्थित यूनियन पार्क में अचानक पुलिस सायरन की आवाज गूंज उठी। कुछ ही पलों में पुलिस की कई गाड़ियां वहां पहुंचीं और एक पुराने बंगले का दरवाजा तोड़ने लगीं। शोरगुल सुनकर आसपास के लोग भी जमा हो गए। जब पुलिस ने बंगले के अंदर प्रवेश किया तो वहां एक महिला की तीन दिन पुरानी लाश मिली, जो अंतिम संस्कार का इंतजार कर रही थी। यह कोई और नहीं बल्कि अपने जमाने की मशहूर और सफल बॉलीवुड अभिनेत्री नलिनी जयवंत थीं। नलिनी ने न सिर्फ सिनेमा को नई ऊंचाइयां दीं बल्कि अपनी गहरी अदाकारी और स्टाइल से दर्शकों के दिल जीत लिए। लेकिन, उनकी मौत बेहद अकेलेपन और खामोशी में हुई। चलिए जानते हैं उनकी जीवन कहानी।
सामान्य परिवार में जन्मी थीं नलिनी
नलिनी जयवंत की आंखों में झील जैसी गहराई थी, नाक नुकीली और मुस्कान तिरछी, जो दर्शकों को दीवाना बना देती थी। ब्लैक एंड व्हाइट पर्दे पर भी उनकी खूबसूरती इतनी प्रभावशाली थी कि लोग उन्हें देखते ही रह जाते। नलिनी का जन्म 18 फरवरी 1926 को मुंबई के एक सामान्य परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें नृत्य में रुचि थी, और यही शौक उन्हें सिनेमा तक ले आया। महज 14 साल की उम्र में उन्हें फिल्म ‘बहन’ में काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देवानंद, दिलीप कुमार, भारत भूषण जैसे दिग्गजों के साथ काम किया।
70 फिल्मों में बिखेरी एक्टिंग की चमक
अपने करियर में नलिनी जयवंत ने 70 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और फिल्म इंडस्ट्री में अपना एक खास मुकाम बनाया। उनकी गिनती उस दौर की सबसे प्रभावशाली अभिनेत्रियों में होती थी। ‘काला पानी’, ‘मुनीमजी’, ‘मिलन’, ‘नास्तिक’ और ‘जादू’ जैसी फिल्मों में उन्होंने यादगार किरदार निभाए। तीन दशकों तक उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर राज किया। दिलचस्प बात ये भी है कि नलिनी का काजोल से भी पारिवारिक रिश्ता था। दरअसल, शोभना समर्थ, जो काजोल की नानी थीं, नलिनी की चचेरी बहन थीं।
दुखद रहा एक्ट्रेस की जिंदगी का अंत
अपने फिल्मी करियर में भले ही नलिनी जयवंत ने शोहरत की ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन उनकी निजी जिंदगी एकाकीपन से भरी रही। अपने अंतिम दिनों में उन्होंने लोगों से मेलजोल लगभग बंद कर दिया था। वे चेंबूर स्थित अपने बंगले में एक-दो नौकरों के साथ रहा करती थीं, लेकिन अक्सर हफ्तों तक किसी से बात नहीं करती थीं। धीरे-धीरे उन्होंने दुनिया से पूरी तरह दूरी बना ली थी। 2010 में उनका निधन हो गया, लेकिन तीन दिनों तक किसी को इसकी जानकारी तक नहीं मिली। जब मौत की खबर फैली, तो लोग स्तब्ध रह गए। भले ही आज नलिनी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी अदाकारी और जीवन की कहानी हमेशा याद रखी जाएगी।