
आगरा धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़
उत्तर प्रदेश के आगरा में अवैध धर्मांतरण के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि गैंग के सभी सदस्यों का काम अलग-अलग था। किसी के पास लोगों का ब्रेनवॉश करने की जिम्मेदारी थी, तो दूसरा यूट्यूब चैनल के जरिए धर्मांतरण का प्रचार-प्रसार कर रहा था। अवैध रूप से धर्मांतरण कराने वाला गैंग मुसलमान बने लोगों के कई वीडिओ दिखाता था। वीडियो में यब बताया जाता था कि इस्लाम धर्म कितना अच्छा है। इस्लाम धर्म अपनाने के और उसे फैलाने के क्या फायदे हैं। इसके लिए एक यूट्यूब चैनल भी चलाया जा रहा था।
अब्दुल रहमान कुरैशी यूट्यूब चैनल चला रहा था। इस चैनल में इस्लाम धर्म अपनाने वाले लोगों के दो-ढाई मिनट के वीडियो होते थे। इनमें ये लोग बताते कि उन्होंने इस्लाम धर्म क्यों अपनाया। इसमें भारत के अलावा यूरोप और दूसरे देशों के इस्लाम धर्म अपनाने वालों के वीडियो होते थे। वीडियो में यह भी बताया जाता था कि और लोगों को मुसलमान बनाने पर बहुत सबाब यानि पुण्य मिलेगा।
ओसामा पर थी ब्रेनवॉश की जिम्मेदारी
धर्मांतरण के लिए सबसे पहले ये गैंग आसान टारगेट ढूंढता था, जिन्हें आसानी से ब्रेन वाश किया जा सके। गैंग में ये काम ओसामा करता था, जिसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है। ओसामा की नजर गरीब या परेशान लोगों पर रहती थी, जिन्हें आसानी से बहलाया-फुसलाया जा सके और जो धर्म परिवर्तन को तैयार हो जाएं। कनाडा में सैय्यद दाऊद अहमद के पास कई देशों से अवैध धर्मांतरण के लिए पैसे आते थे। दाऊद अहमद का काम पैसा जमा करना था। दाऊद ये पैसे आयशा को भेजता था, जो गोवा से गिरफ्तार की गई है। आयशा का असली नाम एस बी कृष्णा है। आयशा धर्मांतरण के लिए यह पैसा लोगों तक पहुंचाती थी।
धर्मांतरण का लीगल एडवाइजर था हसन अली
आयशा के पति शेखर राय उर्फ हसन अली का धर्मांतरण रैकेट में बड़ा रोल है। वह गैंग में लीगल एडवाइजर था। शेखर उर्फ हसन अली ने पुलिस को बताया है कि उसके पास एलएलबी की डिग्री है। धर्मांतरण के लिए जो कानूनी प्रकिया होती है उसकी पूरी जानकारी शेखर उर्फ हसन अली ने जुटा रखी है। ब्रेन वाश करने के बाद जो लोग धर्मांतरण के लिए तैयार हो जाते, हसन अली उनका कोर्ट से एफेडेविट बनवाता। एफीडेविट में लिखा होता कि वो अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर रहा है। इसके साथ में मुसलमान बनाने वाले मौलाना मौलवी का सर्टिफिकेट भी होता था। इसके बाद हिंदी और अंग्रेजी के दो अखबारों में विज्ञापन छपवाता, जिसमे पुराने नाम और धर्मांतरण के बाद नए नाम की जानकारी दी जाती थी।
धर्मांतरण के बाद नई सिम दिलाता था मुस्तफा
हसन अली धर्मांतरण को कानूनी जामा पहनाने के लिए भारत सरकार के गजेट में ऑनलाइन अप्लाई भी करता था। कानूनी प्रकिया के साथ जिन लोगों को धर्मांतरण के लिए लाया जाता उन्हें नया मोबाइल फोन और सिम भी दिलाना होता था। ये काम मनोज उर्फ मुस्तफा करता था, जिसे दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। अब तक की जांच में पुलिस को पता चला है कि आगरा में अवैध धर्मांतरण मामले में आगरा की लड़कियों ने अपने नाम जोया और अमीना रख लिए थे। दोनों कुरान की आयतें और पांच टाइम की नमा भी पढ़ रही थीं। एक लड़की ने अपनी डीपी में एके-47 के साथ अपनी फोटो भी लगा रखी थी।
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