एक झटके में बेच दिया 100 साल पुराना गांव, 150 परिवारों के पैरों तले खिसक गई जमीन


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डाकतारा बंजारी गांव में रह रहे सैकड़ों लोगों का भविष्य अब अंधेरे में है।

ओडिशा के गजपति जिले के परालाखेमुंडी अनुमंडल अंतर्गत डाकतारा बंजारी गांव का एक अनोखा मामला सामने आया है। गांव के लोगों को तब बड़ा झटका लगा जब पता चला कि जिस जमीन पर वे दशकों से घर बनाकर रह रहे हैं, वह जमीन अब बेच दी गई है। यह जमीन गजपति जिले के प्रसिद्ध जमीनदार एम. चंद्रशेखर राव के नाम पर थी, जिन्होंने हाल ही में इसे बेच दिया है। गांव की करीब 42 एकड़ जमीन, जिसमें लगभग 150 परिवार पिछले कई सालों से रह रहे हैं, अब निजी खरीदार के हाथों चली गई है। इनमें से अधिकांश लोगों के पास न तो जमीन का पट्टा है और न ही कोई दस्तावेजी अधिकार। इस वजह से वे अब विस्थापन के डर में जी रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

डाकतारा बंजारी गांव, गजपति जिले की गोसानी ब्लॉक अंतर्गत कतलकइठा पंचायत के अंतर्गत आता है। यहां करीब 150 परिवार रहते हैं, जिनमें से अधिकांश कई वर्षों से यहां बस गए हैं और उन्हें सरकारी आवास योजना के तहत घर भी मिला है। गांव में सरकारी स्कूल भी है, पीने के पानी की पाइपलाइन, बिजली का कनेक्शन भी मौजूद है जिससे साफ पता चलता है कि सरकार भी यहां की स्थायी बस्ती को मान्यता देती रही है।

मालिक ने 42 एकड़ जमीन बेची

मामले में जमीन के मालिक एम. चंद्रशेखर राव ने 42 एकड़ जमीन बेच दी है। जानकारी के अनुसार, यह जमीन एक महिला खरीदार द्वारा खरीदी गई है और उसने कब्जे की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। हालांकि, जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि, “जमीन मालिक को अपनी संपत्ति बेचने का पूरा अधिकार है। म्यूटेशन प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी।” प्रशासन ने यह भी कहा कि गांव की किसी बस्ती को नहीं बेचा गया है, लेकिन लोगों को यह आश्वासन पर्याप्त नहीं लग रहा।

गुहार लगा रहे ग्रामीण

ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि सभी रहवासियों को उनके घर की जमीन का कानूनी पट्टा दिया जाए। सरकारी योजनाओं के तहत जो घर बनाए गए हैं, उन्हें हटाया न जाए। राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस मामले में मानवीय आधार पर हस्तक्षेप करे और पूरे गांव को विस्थापन से बचाने के लिए वैकल्पिक उपाय किया जाए।

देखें गांव का वीडियो-

एक ग्रामीण देवराज सुब्बू ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, “इस गांव की जमीन को बेच दिया गया है। हम अब कहां रहेंगे? हमारे पास पट्टा भी नहीं है। हमारे दादाजी के जमाने से हम यहां रह रहे हैं। हमने कइयों से गुहार लगाई लेकिन उन्होंने जमीन बेच दी। हम अब कहां रहेंगे? सरकार सहायता करेगी तो हम कहीं रह पाएंगे।”

जिला कलेक्टर ने क्या कहा?

गजपति जिला प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। जिला कलेक्टर का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और जो भी कदम उठाए जाएंगे, वे कानून के दायरे में रहकर होंगे। बता दें कि यह सिर्फ एक गांव का मामला नहीं है। ओडिशा समेत कई राज्यों में ऐसे हजारों गांव हैं जहां लोग बिना जमीन के पट्टे के वर्षों से रह रहे हैं। अगर मालिक अपनी जमीन बेच दे, तो उन लोगों के सामने जीवन का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो जाता है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामलों में जल्दी समाधान निकाले ताकि आम लोगों को घर छोड़ने जैसी त्रासदी न झेलनी पड़े।

गजपति जिले का डाकातारा बंजारी गांव जमीन विवाद की चपेट में आ गया है। वहां रह रहे सैकड़ों लोगों का भविष्य अब अंधेरे में है। सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर ऐसे परिवारों को कानूनी सुरक्षा देनी चाहिए, ताकि वे चैन से अपने घरों में रह सकें।

(ओडिशा से शुभम कुमार की रिपोर्ट)

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