
जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से पद से इस्तीफा दे दिया है। धनखड़ ने अपने 8 पैराग्राफ के रेजिग्नेशन लेटर में इस्तीफे की वजह अपनी सेहत को बताया है। उन्होंने काम में सहयोग के लिए, महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कैबिनेट के दूसरे मंत्रियों का शुक्रिया अदा किया है। सदन चलाने में सहयोग के लिए जगदीप धनखड़ ने सांसदों के सहयोग के लिए धन्यवाद कहा है। अपने इस्तीफे में लिखा है कि उन्होंने राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति के तौर पर लोकतंत्र के बहुत से मूल्य सीखे। भारत के लोकतंत्र के सफ़र में भाग लेना अपने आप में अनूठा अनुभव है। धनखड़ ने कहा कि भारत के अभूतपूर्व विकास और विश्व स्तर पर उभार का भागीदार बनने पर उन्हें गर्व है।
बता दें कि जगदीप धनखड़ को इसी साल मार्च महीने में सीने में दर्द की शिकायत के बाद, AIIMS में भर्ती कराया गया था। इसकी वजह से वो कई दिनों तक बजट सत्र की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सके थे।
ममता बनर्जी से होती रही तीखी नोकझोंक
राजस्थान से नाता रखने वाले जाट नेता और प्रख्यात वकील जगदीप धनखड़ 11 अगस्त 2022 को देश के 14वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बने। धनखड़ ने चुनाव में विपक्ष की ओर से मैदान में उतरीं मार्गरेट अल्वा को हराया था। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे थे। हालांकि बतौर राज्यपाल उनकी राज्य की ममता बनर्जी सरकार से तीखी नोकझोंक होती रही और इस वजह से वह लगातार सुर्खियों में भी रहे थे।
झुंझुनूं के जाट परिवार में जन्मे
धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चित्तौड़गढ़ के प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल से पूरी की। प्राइमरी स्तर की पढ़ाई किठाना सरकारी स्कूल से की। मिडिल स्कूल की शिक्षा घरढ़ाणा सरकारी स्कूल से हासिल की। उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए वह जयपुर आ गए। इसके बाद उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीएससी और फिर एलएलबी की डिग्री पूरी की।
2019 में पश्चिम बंगाल के 21वें राज्यपाल बने
धनखड़ ने साल 1979 में सुदेश धनखड़ से शादी की और उनकी एक बेटी भी है जिसका नाम कामना है। साल 1990 में धनखड़ राजस्थान हाई कोर्ट की ओर सीनियर एडवोकेट नामित किए गए। 30 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल के 21वें राज्यपाल के रूप में शपथ लेने तक धनखड़ राज्य में सबसे वरिष्ठ नामित सीनियर एडवोकेट बने रहे।
जाटों को आरक्षण दिलाने में अग्रणी भूमिका
साल 1990 से वह सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे। वह राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्हें राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने के मामले अग्रणी भूमिका के लिए भी जाना जाता है।
धनखड़ का राजनीतिक सफर-
- धनखड़ ने राजनीतिक करियर की शुरुआत पहले जनता दल से की फिर कांग्रेस में आ गए।
- 1989 के लोकसभा चुनाव में वह जनता दल के टिकट पर झुंझुनू सीट से चुने गए।
- साल 1991 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और तब लोकसभा चुनाव में अजमेर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार मिली।
- 2 साल बाद 1993 में राजस्थान की किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक चुने गए।
- 1998 के आम चुनाव में झुंझुनू लोकसभा सीट पर फिर से किस्मत आजमाई लेकिन तीसरे स्थान पर रहे।
- साल 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2008 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की अभियान समिति से जुड़े रहे।
- साल 2016 में, बीजेपी के कानून और कानूनी मामलों के विभाग के प्रमुख रहे।
- इसके करीब 3 साल बाद वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बना दिए गए।
- 2022 में वह देश के उपराष्ट्रपति के पद पर काबिज हो गए।
उप-राष्ट्रपति बनने से पहले जगदीप धनखड़, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने से लेकर, राजनीति तक में कई भूमिकाओं में सक्रिय रहे हैं। वह संसद के सदस्य रहे और 1990 से 1991 के दौरान, लगभग 6 महीने तक, चंद्रशेखर की सरकार में संसदीय कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री भी रहे थे। केंद्र की राजनीति में आने से पहले जगदीप धनखड़ राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रहे थे और 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से विधायक रहे थे।
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