
पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर ए एन रॉय।
मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में दोषियों के बरी होने पर सियासत जारी है। इस बीच तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिशनर ए एन रॉय से इंडिया टीवी ने खास बातचीत की। ए एन रॉय ने ही इस केस की जांच को लीड किया था। इंडिया टीवी को दिए गए टेलीफोनिक इंटरव्यू में ए एन रॉय ने हाईकोर्ट के जजमेंट पर विस्तार से बात की है। उन्होंने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चैलेंज करने की बात कही है।
उस समय 13 लोगों को किया गया अरेस्ट
इंडिया टीवी से बात करते हुए ए एन रॉय ने कहा, “मैंने ही उस वक्त जांच का सुपरविजन किया था। पूरी जांच की जिम्मेदारी मैं लेता हूं। हमने पेशेवर तरीके से इस केस की गहन जांच की थी। हमने सारे सबूत जुटाएं और सिर्फ 13 लोगों को अरेस्ट किया। जिन आरोपियों के खिलाफ हमें पुख्ता सबूत मिले उन्हीं के खिलाफ हमने चार्जशीट फाइल की। 7 साल तक ट्रायल चला, इस दौरान आरोपियों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा कि उन्हें टॉर्चर किया गया, उनसे जबरदस्ती बयान दर्ज कराया गया, लेकिन हर बार उनकी याचिका को मेरिट के आधार पर अदालत ने खारिज किया। टॉर्चर कर बयान दर्ज कराने के तमाम आरोपों की अदालत ने जांच की। जांच में यह तमाम आरोप झूठे पाए गए और उनके पिटीशन को रद्द कर दिया गया।”
7 साल तक चला ट्रायल
ए एन रॉय ने आगे कहा, “7 साल तक चले इस ट्रायल के दौरान करीब 1900 पेज का जजमेंट ट्रायल कोर्ट ने दिया। इस जजमेंट में दोनों पक्षों की बातों को विस्तार से मेंशन किया गया है। कोर्ट ने 13 में से एक आरोपी को बरी किया, जबकि बचे हुए 12 में से पांच आरोपियों को मौत की सजा और सात आरोपियों को उम्र कैद दी सजा दी गई। ट्रायल कोर्ट का यह फैसला कोई मामूली फैसला नहीं है, बहुत बड़ा जजमेंट है। ट्रायल कोर्ट में फैसला हमारे हक में आया, लेकिन अब 10 साल बाद हाईकोर्ट में फैसला हमारे खिलाफ आया है। इस केस की हमने बहुत अच्छी से जांच की है। ऊपरी अदालत में अपील के लिए हमारा केस बहुत स्ट्रॉन्ग है।”
टॉर्चर का बयान गलत
ए एन रॉय ने कहा, “ये इतिहास है कि पूरे हिंदुस्तान में किसी भी केस के किसी भी आरोपी ने कन्फेशनल बयान देने के बाद जब ट्रायल शुरू किया, तब हर बार वह अपने बयान से पलट गया है। हर केस में आरोपी कहता है कि मुझे टॉर्चर कर यह बयान लिया गया है। यह कोई नई बात नहीं है। ट्रायल कोर्ट में भी यह मुद्दा उठा था। कोर्ट के आदेश पर सभी आरोपियों की मेडिकल जांच की गई। इस आरोप पर बाकायदा कोर्टरुम में ऑर्गुमेंट्स हुए और अंत में कोर्ट ने मेरिट के आधार पर इन आरोपों को खारिज कर दिया। सभी गवाहों को ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया।”
1900 पेज के जजमेंट में सारी बातें रिकॉर्ड
उन्होंने आगे कहा, “ट्रायल के दौरान सभी गवाहों का स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया गया। सरकारी पक्ष ने भी सवाल पूछे, बचाव पक्ष ने भी इन सभी गवाहों को क्रॉस एग्जामिन किया। सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में बचाव पक्ष की तरफ से बैटरी ऑफ लॉयर्स मौजूद रहते थे और जब तक उनका समाधान नहीं होता था तब तक वह हर गवाह को क्रॉस एग्जामिन करतें थे। करीब 1900 पेज के जजमेंट में यह तमाम बातें रिकॉर्ड हैं कि किस गवाह ने क्या कहा, क्रॉस एग्जामिनेशन के वक्त क्या कहा गया। ट्रायल कोर्ट ने क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान गवाहों के बयान को विश्वसनीय माना।”
ऊपरी कोर्ट में किया जाएगा चैलेंज
ए एन रॉय ने कहा, “इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का पूरा जजमेंट पढ़ने के बाद ही मैं कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन हमने इस केस की सघन जांच की, सभी सबूत इकठ्ठा किए और एविडेंस कलेक्ट करने के दौरान सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन गया। आप जो बात कह रहें है वो ट्रायल के दौरान भी उठा था। बचाव पक्ष ने इसको भी चैलेंज किया था, बाकायदा इस पर बहस भी हुई थी। इस मुद्दे पर अब ट्रायल कोर्ट के जजमेंट और हाईकोर्ट के जजमेंट को देखना होगा। पूरी मर्यादा और सम्मान के हाथ हम हाईकोर्ट के जजमेंट को स्वीकार करते हैं, लेकिन कानूनी प्रक्रिया के तहत इसे ऊपरी अदालत में चैलेंज किया जाएगा।”