
माइक्रोनेशन और माइक्रोस्टेट में कई बड़े अंतर होते हैं।
Micronation Vs Microstate: हाल ही में यूपी के गाजियाबाद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां हर्षवर्धन जैन नाम के शख्स को पुलिस ने फर्जी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया। यह व्यक्ति खुद को वेस्टार्कटिका, सबोर्गा और पूल्विया जैसे माइक्रोनेशन्स का ‘राजदूत’ बताकर ठगी करता था। उसने अपने घर पर नकली दूतावास खोल रखा था। उसके घर से फर्जी पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय की नकली मुहरें, डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स और लाखों रुपये भी बरामद हुए। इस पूरे प्रकरण के बाद ‘माइक्रोनेशन’ शब्द चर्चा में आ गया है। आखिर यह माइक्रोनेशन होता क्या है? और ये माइक्रोस्टेट से कैसे अलग है? आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं।
माइक्रोनेशन क्या होता है?
माइक्रोनेशन एक ऐसा इलाका होता है, जो खुद को एक स्वतंत्र देश या सरकार बताता है, लेकिन इसे दुनिया के बाकी देश आधिकारिक तौर पर नहीं मानते। ये अक्सर मजाक, शौक, क्रिएटिविटी, या किसी खास मकसद जैसे विरोध या प्रयोग के लिए बनाए जाते हैं। माइक्रोनेशन के पास अपनी जमीन, झंडा, राष्ट्रगान, मुद्रा, और यहां तक कि पासपोर्ट भी हो सकते हैं, लेकिन ये सब सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं, क्योंकि इनका कोई कानूनी वजूद नहीं होता। ज्यादातर माइक्रोनेशन छोटे-छोटे इलाकों, जैसे किसी का घर, बगीचा, या ऑनलाइन कम्युनिटी तक ही सीमित होते हैं।
माइक्रोनेशन बनाने वाले लोग कभी-कभी मजे के लिए, तो कभी अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने के लिए ऐसा करते हैं। माइक्रोनेशन के कुछ उदाहरण हैं:
- तालोसा: अमेरिका के विस्कॉन्सिन के मिल्वॉकी में एक अमेरिकी किशोर ने तालोसा नाम का एक माइक्रोनेशन बनाया, जो शुरू में सिर्फ उसके बेडरूम तक सीमित था, लेकिन बाद में कुछ अन्य हिस्सों तक पहुंच गया। तालोसा के संस्थापक का दावा है कि उन्होंने ‘माइक्रोनेशन’ शब्द भी बनाया। 2005 में संस्थापक ने तालोसा को खत्म कर दिया था, लेकिन इसके ‘नागरिकों’ की वजह से इसका वजूद अभी भी है।
- सीलैंड: ये एक मशहूर माइक्रोनेशन है, जो इंग्लैंड के पास समुद्र में बने एक पुराने प्लेटफॉर्म पर स्थापित किया गया। 1967 में रॉय बेट्स ने इसे ‘प्रिंसिपैलिटी ऑफ सीलैंड’ घोषित किया। इसका अपना झंडा, पासपोर्ट, और मुद्रा भी है, लेकिन कोई भी देश इसे मान्यता नहीं देता।
- लिबरलैंड: यह चेक गणराज्य और सर्बिया के बीच एक छोटी-सी जमीन पर 2015 में बना माइक्रोनेशन है। इसका मकसद आजादी और कम टैक्स की नीतियों को बढ़ावा देना था।
- मोलोसिया: अमेरिका के नेवादा में एक शख्स ने अपने घर को मोलोसिया नाम का माइक्रोनेशन बनाया था। यहां तक कि इसका अपना ‘राष्ट्रपति’ और ‘सेना’ भी है।
माइक्रोस्टेट क्या होता है?
माइक्रोस्टेट एक ऐसा छोटा देश होता है, जो पूरी तरह से स्वतंत्र होता है और आधिकारिक तौर पर दुनिया के बाकी मुल्कों द्वारा मान्यता प्राप्त होता है। इनके पास अपनी हुकूमत, कानून, और अंतरराष्ट्रीय रिश्ते होते हैं। माइक्रोस्टेट का आकार और आबादी बहुत छोटी होती है, लेकिन ये संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों का हिस्सा होते हैं और इनका कानूनी वजूद होता है।
माइक्रोस्टेट छोटे होने के बावजूद दुनिया के नक्शे पर अपनी जगह रखते हैं और दूसरे देशों के साथ व्यापार, कूटनीति, और समझौते करते हैं। माइक्रोस्टेट के कुछ उदाहरण हैं:
- मोनाको: यह फ्रांस के पास बसा एक छोटा-सा देश है, जो अपने कैसिनो और लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए मशहूर है। इसकी आबादी करीब 39,000 है।
- वेटिकन सिटी: यह दुनिया का सबसे छोटा देश है, जो रोम में स्थित है और कैथोलिक चर्च का केंद्र है। इसकी आबादी सिर्फ 900-1000 के आसपास है।
- अंडोरा: यह फ्रांस और स्पेन के बीच स्थित एक माइक्रोस्टेट है। यह पिरेनीज़ पर्वतों में बसा है और अपनी खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के लिए जाना जाता है।
- सान मारिनो: यह इटली के पास बसा एक छोटा-सा गणराज्य है। इस देश का इतिहास 301 ईस्वी तक जाता है।
माइक्रोनेशन और माइक्रोस्टेट में क्या फर्क है?
माइक्रोनेशन किसी भी देश या अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं होता। ये सिर्फ अपने बनाए नियमों पर चलते हैं। वहीं, माइक्रोस्टेट पूरी तरह से स्वतंत्र देश होता है और दुनिया के दूसरे मुल्क इसे आधिकारिक तौर पर मानते हैं। माइक्रोनेशन का कोई कानूनी आधार नहीं होता। ये ज्यादातर मजाक, शौक, या विरोध के लिए वजूद में आते हैं। वहीं, माइक्रोस्टेट के पास अपने कानून, सरकार, और संविधान होते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य हैं। इस तरह देखा जाए तो दोनों के बीच मुख्य और सबसे बड़ा अंतर मान्यता का है।