Rajat Sharma’s Blog: विपक्ष को बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का इंतज़ार करना चाहिए


Rajat sharma, INDIA TV
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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

बिहार में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण के मुद्दे को लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक ज़बरदस्त हंगामा हुआ। बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच नोकझोंक हुई। RJD के विधायक और डिप्टी सीएम विजय सिन्हा आपस में भिड़ गए। तेजस्वी यादव ने कहा कि दावा किया जा रहा था कि बिहार में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोटर बन गए हैं, इसलिए वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण जरूरी है, लेकिन अब तक एक भी ऐसा वोटर नहीं मिला।

तेजस्वी यादव ने पूछा कि 51 लाख लोगों का वोट क्यों काटा जा रहा है? क्या नागरिकों से वोट का अधिकार छीनना लोकतन्त्र की हत्या नहीं हैं? इस पर नीतीश कुमार भडक गए। संसद में भी विपक्ष के नेताओं ने खूब शोर मचाया। वोटर लिस्ट के रिवीज़न पर तुरंत बहस की मांग की, लेकिन सरकार की तरफ से साफ संकेत मिले हैं कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा नहीं होगी क्योंकि चुनाव आयोग एक स्वतन्त्र संवैधानिक संस्था है, वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण करना उसका अधिकार है, संसद उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

लेकिन राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास पक्के सबूत हैं कि महाराष्ट्र के साथ साथ कर्नाटक में भी वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई, इसके सबूत वो जल्दी ही सार्वजनिक करेंगे और चुनाव आयोग को जबाव देना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन सवाल ये है कि जब सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होनी है, तो फिर विपक्ष विधानसभा और संसद में हंगामा क्यों कर रहे हैं।

विपक्ष के सारे नेता चुनाव आयोग पर आरोप लगा रहे हैं, आयोग के बहाने सरकार को घेर रहे हैं, लेकिन आयोग अपना काम करने में लगा है। चुनाव आयोग ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनमें बताया गया है कि बिहार में वोटर लिस्ट के रिवीजन का काम करीब करीब पूरा हो गया है। 98 प्रतिशत से ज्यादा वोटर्स के फॉर्म जमा हो गए हैं। अब तक वोटर लिस्ट में ऐसे बीस लाख नाम मिले हैं जिनकी मौत हो चुकी है। 28 लाख वोटर अपने पते पर नहीं मिले, वो दूसरी जगह जा चुके हैं। सात लाख लोग ऐसे मिले, जिनका वोट एक से ज्यादा जगह बना है। एक लाख लोगों का पता नहीं लगा।

चुनाव आयोग का कहना है कि 1 अगस्त तक वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट तैयार हो जाएगा। फिर 1 सितंबर तक इसमें संशोधन होगा। अगर किसी को कोई आपत्ति या  शिकायत है, तो चुनाव आयोग उसकी जांच करेगा। राजनीतिक दल भी वोटर लिस्ट को ग्राउंड पर जाकर क्रॉस चैक कर पाएंगे। एक महीने में सारी शिकायत दूर होने के बाद वोटर लिस्ट फाइनल होगी। मुझे लगता है कि विपक्ष को चुनाव आयोग पर कीचड़ उछालने के बजाए वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

जस्टिस यशवन्त वर्मा का मामला लम्बा खिंच सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवन्त वर्मा की तरफ से फाइल की गई अर्जी को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया। जस्टिस वर्मा ने कैश-कांड की जांच करने वाली सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी है और भारत के पूर्व चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना की उस सिफारिश को भी ख़ारिज करने की मांग की है जिसमें उनके ख़िलाफ़ महाभियोग चलाने की सिफ़ारिश की गई है।

जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे बड़े वकीलों को उतारा है। कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस बी आर गवई की बेंच में जस्टिस यशवंत वर्मा की अर्जी का जिक्र किया और कहा कि जस्टिस वर्मा ने कुछ संवैधानिक सवाल उठाए हैं, इसलिए उनकी अर्जी पर जल्द सुनवाई की जाए। चीफ़ जस्टिस गवई ने इस केस की सुनवाई के लिए एक बेंच गठित करने की बात कही लेकिन ये भी साफ कर दिया कि वो ख़ुद बेंच का हिस्सा नहीं होंगे क्योंकि वह भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य के तौर पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ हुई जांच की प्रक्रिया का हिस्सा थे।

इसी साल मार्च में जस्टिस वर्मा के घर में आग लगी थी। इसके बाद नोटों से भरी, जली हुई बोरियों मिली थीं जो बाद में गायब कर दी गईं। इसके बाद उस वक़्त के चीफ़ जस्टिव संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया और मामले की जांच के लिए, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता में तीन जजों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने 55 गवाहों के बयान लिए, जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले का दौरा किया और जांच में पाया कि जो नोटों से भरी हुई बोरियां मिली थी, वो जस्टिस वर्मा की थीं।

जस्टिस वर्मा के केस में देरी होती जा रही है। मामला अजीब रुख लेता जा रहा है। शुरुआत से देखें। उनके घर पर नोट मिले, उसका सबूत वीडियो पर है, पुलिस ने देखा है, पर न तो पुलिस उनसे पूछताछ कर सकती है, न FIR कर सकती है, न पंचनामा कर सकती है क्योंकि कानून ही ऐसा है।

सुप्रीम कोर्ट के Chief Justice के अधिकार भी ऐसे मामलों में सीमित हैं। वह भी जज को सिर्फ transfer कर सकते हैं जो उन्होंने कर दिया। दूसरा काम, वह इस पूरे मामले की जांच कर सकते हैं, जज की जो enquiry हुई, उसमें भी Justice वर्मा को दोषी पाया, तो भी मुख्य न्यायाधीश Justice वर्मा को सिर्फ इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं। उन्होंने कहा लेकिन Justice वर्मा ने इनकार कर दिया। इसके बाद Chief Justice of India ने सरकार से उन्हें impeach करने के लिए कहा।

महाभियोग की प्रक्रिय भी लम्बी है। ये process शुरू होता, इससे पहले Justice वर्मा ने Chief Justice के फैसले को ही Supreme Court में challenge कर दिया। बड़े-बड़े वकील उनकी तरफ से पेश होंगे। ये मामला लंबा खिंच सकता है। impeachment में भी समय लगेगा और जबतक कोई अन्तिम फैसला नहीं हो जाता, तबतक Justice यशवंत वर्मा High Court के Judge बने रहेंगे, उनका रुतबा बरकरार रहेगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 जुलाई, 2025 का पूरा एपिसोड

 

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