CAG रिपोर्ट में नीतीश सरकार की GSDP में बढ़ोत्तरी, राजकोषीय घाटे में आई कमी, देखिए सारे आंकड़े


बिहार के सीएम नीतीश कुमार
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार

कैग की रिपोर्ट ने नीतीश सरकार के लिए अच्छी खबर दी है। इसमें बिहार के आर्थिक रूप से सशक्त होने की ओर संकेत मिले हैं, जिसमें राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product, GSDP) में बढ़ोतरी की बातें कही गई हैं। बिहार सरकार पर भारत के महालेखा परीक्षक और नियंत्रक (CAG) की राज्य वित्त लेखा परीक्षा रिपोर्ट राज्य विधानमंडल के पटल पर रखी गई, जिसमें उल्लेख किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य का जीएसडीपी पिछले वर्ष की तुलना में 14.47 प्रतिशत बढ़ा है। 

राज्य की देनदारियों में 2.34 प्रतिशत की वृद्धि 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी वित्तीय वर्ष के दौरान, राज्य की देनदारियों में पिछले वर्ष की तुलना में 12.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें आंतरिक ऋण राज्य की कुल बकाया देनदारियों का 59.26 प्रतिशत था। आंतरिक ऋण के तहत शुद्ध देनदारियों में पिछले वर्ष की तुलना में 13.51 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

 प्रतिबद्ध व्यय 8.86 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ा

CAG की रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज भुगतान, वेतन और पेंशन सहित प्रतिबद्ध व्यय, 2023-24 के दौरान राज्य के राजस्व व्यय का 36.89 प्रतिशत और राजस्व प्राप्तियों का 36.35 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबद्ध व्यय 8.86 प्रतिशत की औसत दर से बढ़कर 2019-20 में 48,477.72 करोड़ रुपये से 2023-24 में 70,282.32 करोड़ रुपये हो गया। 

सीएजी रिपोर्ट की मानें तो 2019-20 से 2023-24 के दौरान राज्य की बकाया देनदारियां जीएसडीपी अनुपात में 33.24 प्रतिशत से 40.01 प्रतिशत के बीच रहीं। देनदारियों का प्रमुख घटक आंतरिक ऋण (चालू वर्ष के दौरान 70.99 प्रतिशत) था, जिसमें बाजार उधारी भी शामिल थी।

35,659.88 करोड़ रुपये रह गया राजकोषीय घाटा

कैग रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इसी अवधि के दौरान, राज्य का राजस्व अधिशेष 2,833.06 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 11,288.20 करोड़ रुपये था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य का राजकोषीय घाटा 2022-23 के 44,823.30 करोड़ रुपये से घटकर 35,659.88 करोड़ रुपये हो गया।’ 

गैर-कर राजस्व में 27.14 प्रतिशत की वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की राजस्व प्राप्तियों में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी प्रकार, केंद्रीय करों और शुल्कों तथा स्वयं के कर राजस्व में राज्य की हिस्सेदारी में पिछले वर्ष की तुलना में क्रमशः 18.95 प्रतिशत (18,094 करोड़ रुपये) और 9.87 प्रतिशत (4,343 करोड़ रुपये) की वृद्धि हुई। इसी प्रकार, गैर-कर राजस्व में 27.14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि भारत सरकार से प्राप्त अनुदान सहायता में पिछले वर्ष की तुलना में 9.99 प्रतिशत की कमी आई।

कुल बजट का केवल 79.92 प्रतिशत किया खर्च

बजट का 21 फीसदी कम खर्च हुआ। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्य का कुल बजट 3,26,230.12 करोड़ रुपये था, लेकिन राज्य ने कुल बजट का केवल 79.92 प्रतिशत ही खर्च किया, जो उसके मूल बजट से कम था। इसमें कहा गया है कि राज्य ने अपनी कुल बचत 65,512.05 करोड़ रुपये का 36.44 प्रतिशत समर्पित किया। इसमें आगे कहा गया है कि राज्य ने दो अनुदानों में बजटीय प्रावधानों से 39.47 करोड़ रुपये अधिक व्यय किया। 

17 अनुदानों में 30 प्रतिशत से अधिक की महत्वपूर्ण बचत

रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 08 अनुदानों के तहत बचत कुल बचत का 42 प्रतिशत थी। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश बचत ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, ग्रामीण कार्य, आपदा प्रबंधन और कृषि विभागों से संबंधित थी। 17 अनुदानों में 30 प्रतिशत से अधिक की महत्वपूर्ण बचत हुई।

सम्राट चौधरी ने पेश की सीएजी रिपोर्ट

सीएजी की रिपोर्ट मे 70877 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) नहीं देने के लिए बिहार की नीतीश कुमार सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल भी उठाया गया है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कल गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 की सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश किया था। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2024 तक बिहार के महालेखाकार को 70877 करोड़ रुपये के 49649 उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए गए। सीएजी ने कहा है कि इस रिपोर्ट के बिना उसके लिए यह कह पाना मुश्किल है कि सरकार ने पैसे उसी योजना पर खर्च किए, जिसके लिए दिए गए थे।





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