
बॉर्डर पर थाईलैंड आर्मी की सैन्य गतिविधियां
Thailand Cambodia Conflict: सुरिन (थाईलैंड): हिंदू मंदिर को लेकर 2 एशियाई देशों में जंग छिड़ गई है। दोनों ही देश एक दूसरे पर बम और तोपगोले बरसा रहे हैं। इस संघर्ष में अब तक कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। ये दोनों देश थाईलैंड और कंबोडिया हैं, जहां पर हिंदू मंदिर बहुतायत संख्या में हैं। इन दोनों ही देशों में बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं। बौद्ध धर्म के लोगों की संख्या दोनों ही देशों में 90 फीसदी से अधिक है। इनके बीच सीमा पर गुरुवार को बड़े पैमाने पर हिंसक झड़पें हुईं। इस दौरान कंबोडिया ने थाईलैंड पर रॉकेट दागे तो जवाब में थाईलैंड ने कंबोडिया पर एयरस्ट्राइक कर दी।
थाईलैंड ने क्यों की एयरस्ट्राइक?
थाई रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सुरासंत कोंगसीरी ने बताया कि यह झड़पें गुरुवार को सीमा के कम से कम छह इलाकों में हुईं। इस संघर्ष के शुरू होने से एक दिन पहले सीमा पर एक लैंडमाइन विस्फोट में थाईलैंड के 5 सैनिक घायल हो गए थे, जिसमें एक थाई सैनिक का पैर भी उड़ गया था। इसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया और कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया।
प्राचीन मुएन थोम मंदिर के पास जबरदस्त फाइट
कंबोडिया के ओडर मींचे प्रांत के प्रमुख जनरल खोव ली ने बताया कि शुक्रवार सुबह थाईलैंड के साथ फिर से संघर्ष शुरू हो गया है। यह संघर्ष प्राचीन ता मुएन थोम मंदिर के पास हुआ। एसोसिएटेड प्रेस के संवाददाताओं ने सीमा के पास तोपों की आवाजें सुनीं। उन्होंने बताया कि गुरुवार की लड़ाई में कम से कम चार नागरिक घायल हुए हैं और सीमा के पास स्थित गांवों से 4,000 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं।
सीमा पर बसे लोगों को तत्काल इलाका खाली करने का आदेश
थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया है। थाईलैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एक थाई सैनिक और 13 नागरिक (जिनमें बच्चे भी शामिल हैं) मारे गए, जबकि 14 सैनिक और 32 अन्य नागरिक घायल हुए। थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम वेचायाचाई ने कहा कि संघर्ष ने चार प्रांतों को प्रभावित किया है और गृह मंत्रालय को आदेश दिया गया है कि सीमा से कम से कम 50 किलोमीटर दूर तक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए।
कंबोडिया ने दी प्रतिक्रिया
कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता ले. जनरल माली सोचेता ने कहा कि कंबोडिया को “थाई धमकियों” के खिलाफ अपनी सीमा की रक्षा करनी पड़ी। उन्होंने दावा किया कि कंबोडियाई हमले केवल सैन्य ठिकानों पर केंद्रित हैं। कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर “थाई आक्रमण को रोकने के लिए आपात बैठक” बुलाने की मांग की। यूएन ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में दोपहर 3 बजे एक बंद बैठक निर्धारित की।
हवाई हमले और मंदिर क्षेत्र को नुकसान
थाई वायुसेना ने पुष्टि की कि उन्होंने एफ-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया पर दो बार हमले किए। थाई प्रवक्ता निकोर्नदेच बालनकुरा ने इसे “आत्मरक्षा” बताया। कंबोडिया का दावा है कि थाई जेट्स ने प्राचीन प्रीह विहेयर मंदिर के पास सड़क पर बम गिराए। यह मंदिर यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है और कंबोडियाई संस्कृति का प्रतीक माना जाता है। कंबोडियाई संस्कृति मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत न्याय की मांग की है।
राजनीति में उबाल
संघर्ष से पहले ही दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ चुके थे। थाईलैंड ने कंबोडिया पर आरोप लगाया कि सीमा पर जो लैंडमाइन फटा, वह नया लगाया गया था और रूसी तकनीक का था, जो थाई सेना द्वारा इस्तेमाल नहीं होता। कंबोडिया ने इसे “निराधार आरोप” बताते हुए खारिज कर दिया। कंबोडिया ने भी जवाबी कार्रवाई में अपने सभी राजनयिकों को बैंकॉक से वापस बुला लिया। इस विवाद का असर थाईलैंड की आंतरिक राजनीति पर भी पड़ा है। प्रधानमंत्री पेतोंगटार्न शिनावात्रा को इस महीने की शुरुआत में हुन सेन से फोन पर बातचीत को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी। 1 जुलाई को उन्हें संभावित नैतिक उल्लंघन की जांच तक के लिए निलंबित कर दिया गया।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हिंदू मंदिर विवाद क्या है?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हिंदू मंदिर को लेकर विवाद मुख्य रूप से “प्रेह विहेयर मंदिर” (Preah Vihear Temple) को लेकर है। यह एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो कि 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और खमेर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। यह मंदिर सीमा पर एक पहाड़ी (डांगरेक पर्वतमाला) पर स्थित है, और यहीं से विवाद की जड़ शुरू होती है। मंदिर भौगोलिक रूप से थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार थाईलैंड की ओर है, लेकिन वह कंबोडिया की भौगोलिक सीमा में आता है। कंबोडिया यही दावा करता है।
दोनों देश करते हैं मंदिर पर दावा
फ्रांसीसी उपनिवेश काल में 1907 में कंबोडिया के लिए जो नक्शा तैयार किया गया था, उसमें मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया गया था। हालांकि थाईलैंड इस नक्शे को मान्यता नहीं देता और कहता है कि यह गलत था। इसके बाद हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 1962 में फैसला दिया कि यह मंदिर कंबोडिया का है। थाईलैंड ने इस फैसले को माना, लेकिन मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर विवाद बना रहा।
2008 में UNESCO ने किया विश्व धरोहर घोषित
यूनेस्को ने 2008 में इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित कर दिया। थाईलैंड ने इसका विरोध किया। उसका कहना था कि यह कंबोडिया के दावे को मजबूत करता है और आसपास की विवादित जमीन पर प्रभाव डालता है। इसके बाद 2008 से 2011 के बीच मंदिर क्षेत्र को लेकर कई बार थाईलैंड और कंबोडिया की सेनाओं के बीच गोलीबारी और झड़पें हुईं। 2011 की झड़पों में कई सैनिक मारे गए और हजारों ग्रामीणों को सीमा से हटना पड़ा।
क्या है पुराना सीमा विवाद
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से विवाद चलता आ रहा है, जो समय-समय पर उभरता रहा है। हालांकि हथियारों का इस्तेमाल बहुत कम हुआ है। पिछली बार 2011 में बड़ा सैन्य संघर्ष हुआ था, जिसमें 20 लोगों की जान गई थी। (एपी/पीटीआई)