
जम्मू कश्मीर में साइबर जिहाद का खुलासा
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकवादी भर्ती 2025 तक एकल अंक में गिर गई है, अब स्थानीय कश्मीरी युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में उल्लेखनीय गिरावट के कारण पाकिस्तान कश्मीर में अपनी उपस्थिति को पुनर्जीवित करने के लिए साइबर जिहाद की ओर रुख कर रहा है। लेकिन सीमा पार से रचनी वाली ऐसी हर साजिश पर जम्मू कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों की पहली नज़र है। वो ऐसे किसी भी साजिश को विफ़ल बनाने के लिए पूरी तारा से अलर्ट है।
पाक का नया मॉड्यूल
जम्मू कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस एजेंसी का एक बड़ा खुलासा। सीमा पार बैठे आतंकी अब तकनीक और इंटरनेट की मदद से कश्मीर में साइबर आतंकवाद फैला रहे हैं ताकि अपने मंसूबों को अंजाम दे सकें। लेकिन कश्मीर पुलिस की खुफिया शाखा ने साइबर आतंक की साज़िश का भंडाफोड़ करते हुए साइबर आतंक चलाने वाले पांच मॉड्यूल का पर्दाफ़ाश किया है।
ये हैं आतंक के वो तीन चेहरे
ये हैं सीमा पार बैठे उन आतंकियों के तीन चेहरे जो कश्मीर में फिर से शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ये आतंकी कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने और अपनी मजूदगी दिखाने के लिए सोशल मीडिया ऐप्स की मदद से साइबर जिहाद के ज़रिए कश्मीरी युवाओं को फिर से भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए आतंकी वॉट्सएप, टेलीग्राम, वायर और सिग्नल जैसे ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। इन ऐप्स को उनके एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल के लिए चुना जाता है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इन्हें इंटरसेप्ट करना मुश्किल हो जाता है।
साइबर जिहाद फैलाने वाले शख्स
इस साइबर जिहाद का खुलासा तब हुआ जब हाल ही में सीआईके ने कश्मीर घाटी के चार जिलों- श्रीनगर, बडगाम, पुलवामा और गांदरबल में 10 स्थानों पर छापे मारे। यह सीआईके द्वारा ध्वस्त किया गया पांचवां प्रमुख डिजिटल मॉड्यूल था, जिसमें सीआईके के अभियानों में पहचाने गए अब्दुल्ला गाज़ी नाम के एक पाकिस्तानी हैंडलर ने आतंकवाद को वीरता या जिहाद के मार्ग के रूप में पेश करके युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए एन्क्रिप्टेड चैट का इस्तेमाल किया।
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कैसे चलाते थे साइबर जिहाद का नेटवर्क
- जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख सदस्य अब्दुल्ला गाज़ी रावलपिंडी से पूरी तरह से कार्यात्मक डिजिटल भर्ती सेल चलाता था।
- इस ऑपरेशन ने एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप्लिकेशन और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कश्मीरी युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के उद्देश्य से एक परिष्कृत साइबर-कट्टरपंथी नेटवर्क को लक्षित किया।
- इससे पहले जो 4 मॉड्यूल नष्ट किये गए वो भी कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी समूहों में शामिल होने और कट्टरपंथ के लिए एन्क्रिप्टेड संचार और साइबर रणनीति का भी इस्तेमाल करते थे।
पहले पकड़े गए चार मॉड्यूल का विवरण इस प्रकार है:
- लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी फंडिंग मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया, जिसे एक पाकिस्तानी आतंकवादी हैंडलर ‘सुमामा उर्फ बाबर उर्फ इलियास’ चला रहा था।
- हिजबुल मुजाहिदीन के जबरन वसूली/धमकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है। यह मॉड्यूल पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन हैंडलर, जांबाज गाजी उर्फ गाजी बाबा द्वारा चलाया जा रहा था।
- अंसार गजवत-उल-हिंद के पाकिस्तानी आतंकवादी हैंडलर ‘बाबा हमास’ उर्फ हंजुल्लाह द्वारा चलाए जा रहे एक आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया।
- सीआईके ने लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा, ‘तहरीक लबैक या मुस्लिम’ (टीएलएम) द्वारा चलाए जा रहे एक ‘भर्ती मॉड्यूल’ का भंडाफोड़ किया, जिसका मुखिया पाकिस्तानी आतंकवादी हैंडलर ‘@बाबा हमास’ है।
सीआईके एसएसपी ने कहा
इंडिया टीवी से बात करते हुए सीआईके के एसएसपी ताहिर अशरफ बट्टी ने कहा, “वे (पाकिस्तान) स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उन्हें आतंकवाद की ओर धकेलने और स्थिति को बिगाड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस भर्ती को रोकने के लिए हमारी करवाई जारी है और अब तक विभिन्न आतंकवादी कमांडरों या हैंडलरों के पांच मॉड्यूल सक्रिय हो चुके थे और लोगों को तैयार किया जा रहा था। हमने उन पांच मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है और कार्रवाई की जा रही है। यह कार्रवाई जारी रहेगी और आने वाले दिनों में ऐसे और ऑपरेशन किए जाएंगे। हम नहीं चाहते कि हमारे निर्दोष युवा आतंकवाद में शामिल होने के लिए प्रेरित हों और उनका कैरियर तबाह हो जाए और स्थिति भी बिगड़ जाए।”