
कोटा के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण
राजस्थान के झालावाड़ जिले के स्कूल में हुए हादसे ने देशभर के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। झालावाड़ के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का हिस्सा गिरने से 7 बच्चों की मौत के बाद कोटा में सरकारी स्कूलों का गहन निरीक्षण किया गया, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। बताया गया है कि कोटा में हजारों छात्र-छात्राएं असुरक्षित परिस्थितियों में पढ़ाई कर रहे हैं।
कोटा में 14 स्कूल भवनों को तत्काल ध्वस्त करने के लिए चिह्नित किया गया है, जो किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा 1,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में फैली 600 से 700 कक्षाएं क्षतिग्रस्त पाई गई हैं और उन्हें तत्काल मरम्मत की जरूरत है।
दो भाई-बहन समेत सात बच्चों की मौत
बता दें कि राजस्थान में झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा ढहने से दो भाई-बहन समेत सात बच्चों की मौत हो गई और 27 अन्य घायल हो गए। इस हादसे में अपने बेटे और बेटी को खोने के गम से बदहवास मां ने कहा, ‘‘मेरा सबकुछ लुट गया। मेरे दो ही बच्चे थे। दोनों चले गए। मेरा घर सूना हो गया। मेरे आंगन में खेलने वाला कोई नहीं बचा। एक लड़का था, एक लड़की। भगवान मुझे ले जाता, मेरे बेटे-बेटी को छोड़ देता।’’
शनिवार की सुबह जब सातों बच्चों के शव उनके परिवारों को सौंपे गए, तो एसआरजी अस्पताल के शवगृह के बाहर खड़े उनके परिजनों को संभालना मुश्किल हो गया। कुछ महिलाएं अपने बच्चों के शवों से लिपटकर विलाप कर रही थी, जबकि कुछ पीड़ित सदमे में मौन बैठे थे। हादसे में मारे गए पांच बच्चों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया, जबकि दो बच्चों की अंत्येष्टि अलग-अलग की गई। घटना में अपने बच्चे को खोने वाली एक अन्य महिला ने घटना के समय स्कूल में मौजूद शिक्षकों की भूमिका पर सवाल उठाए। उसने कहा, ‘‘मास्टर साहब भी स्कूल जाते हैं। खुद तो बाहर चले गए और बच्चों को अंदर छोड़ दिया। वे बाहर क्या कर रहे थे?’’
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