
मनसा देवी मंदिर
आज मनसा देवी मंदिर में सुबह-सुबह भगदड़ मच गई जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई है और 25-30 लोगों के घायल होने की खबर है। ऐसे में मां मनसा देवी मंदिर चर्चा में आ गया है। आइए जानते हैं कि कितना पौराणिक है यह मंदिर और क्यों है आखिर इतना प्रसिद्ध…
उत्तराखंड के हरिद्वार में शिवालिक पर्वत के श्रृंखलाओं के मुख शिखर पर मां मनसा देवी का मंदिर बसा हुआ है। इस मंदिर में देवी के दर्शन के लिए हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। परिसर में मौजूद स्नोही वृक्ष पर डोरी बांधने की भी परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि मां मनसा धागा बांधने वाले अपने भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण करती है।
कब हुआ मंदिर का निर्माण?
जानकारी दे दें कि मनसा देवी मंदिर का निर्माण राजा गोला सिंह ने साल 1811 से 1815 के बीच किया था। यह मंदिर उन चार मंदिर में से एक है, जहां समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत की कुछ बूंदें गलती से यहां पर गिर गई थीं। बाद में इस स्थान पर माता के मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में मां की दो मूर्तियां स्थापित की गई हैं। एक प्रतिमा में उनके तीन मुख और पांच भुजाएं हैं और दूसरे में 8 भुजाएं हैं। मां कमल और सर्प पर विराजित हैं।
क्या है पौराणिक कथा?
स्कंद पुराण में कहा गया कि इसमें मनसा देवी को 10वीं देवी माना गया। माना जाता है कि महिसासुर नामक राक्षस ने देवताओं का पराजित कर दिया, इसके बाद देवताओं ने देवी को आह्वान किया। देवी ने प्रकट होकर महिषासुर का वध किया। इस पर देवताओं ने देवी की पूजा-अर्चना की और देवी से कहा कि देवी जिस प्रकार आपने हमारी मनसा पूर्ण की, उसी प्रकार कलियुग में भी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करें।
कहा यह भी जाता है कि इस पर देवी ने हरिद्वार के शिवालिक मालाओं के मुख्य शिखर के पास ही विश्राम किया। इसी कारण यहां मंदिर का निर्माण कराया गया।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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