कितना मुश्किल था ऑपरेशन महादेव? कैसे हुई प्लानिंग और ढेर हुए आतंकी, 10 दिन पहले हुई थी शुरुआत


Operation mahadev
Image Source : PTI/REPORTER INPUT
ऑपरेशन महादेव के दौरान सुरक्षाबलों के जवान (बाएं), एनकाउंटर की जगह का नक्शा (बाएं)

भारतीय सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए तीन आतंकियों को मार गिराया है। श्रीनगर के बाहरी इलाके में ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों ने जिन आतंकियों को ढेर किया है, उनमें सुलेमान उर्फ आसिफ भी शामिल है, जो कथित तौर पर पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। सुलेमान के दो साथी भी इस ऑपरेशन में मारे गए हैं। इन दोनों आतंकियों की पहचान जिब्रान और हमजा अफगानी के रूप में हुई है। जिब्रान कथित तौर पर पिछले साल हुए सोनमर्ग सुरंग हमले में शामिल था।

भारतीय सुरक्षाबलों को आतंकियों की जानकारी 18 जुलाई से मिल रही थी। दो से तीन आतंकियों को पहाड़ों के ऊपर स्पॉट किया गया था और उनके कम्युनिकेशन सेट को इंटरसेप्ट किया गया था। आतंकी लगातार अपने ओवर ग्राउंड वर्कर्स और पाकिस्तानी आतंकियों के संपर्क में थे।

कैसे पूरा हुआ सेना का ऑपरेशन?

आतंकियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के बाद भारतीय सेना की अलग अलग 2 -2 राष्ट्रीय राइफल टीम और स्पेशल फोर्से के जवानों ने पहाड़ों के ऊपर घेराबंदी शुरू की। आतंकियों के साथ मुठभेड़ में आम नागरिकों को कोई नुकसान न हो और सैनिकों को भी कम से कम खतरा हो। इस बात का ध्यान रखा गया और चक्रव्यूह रचा गया। इस ऑपरेशन का नाम महादेव इसलिए रखा गया, क्योंकि ये श्रीनगर के बेहद पास है और ऑपरेशन सोमवार के दिन हुआ। इस पूरे इलाके के पास शालीमार बाघ निषाद और हरमन टूरिस्ट स्पॉट भी है। इसलिए इस ऑपरेशन में बहुत एहतियात बरता गया।

एक साथ ढेर हुए तीनों आतंकी

सेना ने घेराबंदी करने के बाद तीनों आतंकियों पर चारों तरफ से एक साथ फायर करके मार गिराया। जंगल घना था और आतंकी कहीं बाहर ना निकलें और उनका कोई मददगार फायर ना करे। सुरक्षा बलों ने इसका भी ध्यान रखा। इसी वजह से चक्रव्यूह के नीचे जम्मू कश्मीर पुलिस की एसओजी और सीआरपीएफ को तैनात किया गया। इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना के साथ सीआरपीएफ की दो अलग-अलग यूनिट और वैली क्विक एक्शन टीम शामिल थी।

एलजी मनोज सिन्हा का बयान

ऑपरेशन महादेव पर जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, “यह सच है कि तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया गया है। पुलिस प्रशासन इसकी पूरी जानकारी देगा। मैं सेना, पुलिस और इस ऑपरेशन में शामिल सभी लोगों को बधाई देता हूं।” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के ऑपरेशन जम्मू कश्मीर की पुलिस और सेना के जवान मिलकर कई महीनों से चला रहे हैं और कश्मीर से आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है।

90 दिनों से चल रहा ऑपरेशन

आतंकियों की धरपकड़ के लिए यह ऑपरेशन 90 दिनों से चलाया जा रहा था। इस समय ऑपरेशन अनंतनाग के साथ साथ देचीगांव समेत छह से सात अलग-अलग ठिकानों पर चल रहा था। 2000 से ज्यादा जवान इस पूरे ऑपरेशन में शामिल थे। देर रात से लेकर शाम तक नाइट विजन कैमरों का इस्तेमाल किया गया। रात में देखने वाले ड्रोन समेत अलग-अलग आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया। भारतीय सेना ने इस दौरान इंटेलिजेंस एजेंसी की भी मदद ली। ऑपरेशन भारतीय सेना ने किया, लेकिन बाहरी घेराबंदी जम्मू कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने की। मंगलवार दोपहर के बाद फिफ्टीन कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रशांत श्रीवास्तव इस में जम्मू कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारियों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा भी कश्मीर में उन सभी जवानों से मिलेंगे, जिन्होंने इस ऑपरेशन को आज अंजाम दिया है। आतंकियों की पहचान के लिए अलग अलग माध्यमों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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