
बैलगाड़ी से गर्भवती महिला को नदी पार कराते ग्रामीण
मध्य प्रदेश के बैतूल में एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा हुई तो बैलगाड़ी पर अस्पताल ले जाया गया। बैलगाड़ी के लिए भी रास्ता नहीं था। ऐसे में गांव के लोगों ने मदद की और नदी पार करके महिला को अस्पताल तक पहुंचने में मदद की। घटना का वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि गांव के लोग बैलगाड़ी के चारो तरफ चल रहे हैं। बैलगाड़ी उफनती हुई नदी पार करती है। इसके बाद उसे एंबुलेंस मिलती है और वह अस्पताल पहुंचती है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के ग्रामीण अंचलों में अभी भी हालत बदतर पर बने हुए हैं। वायदे और आश्वासनों के बावजूद भाजी नदी पर अब तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है। इसी वजह से बारिश के मौसम में ग्रामीणों को आज भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है।
बैलगाड़ी पर गई गर्भवती महिला
मामला घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के चिचोली विकासखंड के बोर्ड रैयत गांव का है, जहां रविवार को गर्भवती महिला सुनीता (पति बबलू) को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। अस्पताल ले जाने के लिए रास्ते में भाजी नदी बहती है, जिसमें भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई थी। ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाई और सुनीता को बैलगाड़ी में बैठाकर नदी पार कराई। बैलगाड़ी के आगे और पीछे कई ग्रामीण चल रहे थे ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो। सुनीता को सुरक्षित रूप से चिरापाटला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां नर्स पूनम उईके की देखरेख में उसकी डिलीवरी कराई गई। उसने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। फिलहाल मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
परिवार और ग्रामीणों की आपबीती
सुनीता की सास रामवती ने बताया कि नदी का बहाव बहुत तेज था, लेकिन प्रसव पीड़ा बढ़ने के कारण उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना जरूरी था। ग्रामीणों ने सहयोग किया और जोखिम उठाते हुए बैलगाड़ी के जरिए नदी पार कराई। नदी पार करते समय मै भी बहने लगी थी लेकिन साथवाले ग्रामीणों ने मुझे बहने से बचा लिया। रामवती ने बताया कि बैलगाड़ी से नदी पार करने के बाद एंबुलेंस से अस्पताल लेकर आए।
पुल निर्माण की मांग
श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा कि भाजी नदी गांव के बीच से गुजरती है। कई बार संगठनों ने यहां पुल निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन किए, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने बताया कि इस नदी में कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन लापरवाह बना हुआ है।
15 अगस्त तक का अल्टीमेटम
राजेंद्र गढ़वाल ने चेतावनी दी कि अगर 15 अगस्त तक पुल निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो श्रमिक आदिवासी संगठन बड़े आंदोलन की तैयारी करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन बार-बार बजट का बहाना बनाकर काम टाला जा रहा है। अब ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
(बैतूल से मयंक भार्गव की रिपोर्ट)