ऑपरेशन महादेव: पहलगाम हमले के तीन आतंकियों को सजा-ए-मौत, जानें उनकी पूरी कुंडली


ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी
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ऑपरेशन महादेव में मारे गए आतंकी

संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा जारी है। इस बीच सोमवार को ऑपरेशन महादेव चलाकर सेना ने  22 अप्रैल को पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकवादियों को मार गिराया। सेना के साथ हुए मुठभेड़ में तीन में से दो, हबीब ताहिर उर्फ हबीब अफगानी और सुलेमान की पहली तस्वीरें सामने आई हैं। सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे और इन आतंकवादियों की पहचान सुलेमान शाह, जिबरान और अबू हमजा अफगानी के रूप में हुई है।

लश्कर ए तैयबा ने की आतंकी की पहचान

आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान के इस्लामी जमात तलाबा ने ऑपरेशन महादेव में सेना द्वारा मारे गए तीन आतंकवादियों में से एक की पहचान करते हुए बयान जारी किए हैं। इस्लामी जमात तलाबा के अनुसार, मारे गए तीन आतंकवादियों में से एक का नाम हबीब ताहिर उर्फ हबीब अफगानी उर्फ हबीब खान उर्फ छोटू है। हबीब अफगानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रावलकोट जिले के कोइयां खैगाला इलाके के अजीज गांव का निवासी था।

दूसरा आतंकी, सुलेमान शाह लश्कर का शीर्ष कमांडर और पहलगाम आतंकवादी हमले का एक मास्टरमाइंड था। सुलेमान शाह भी पाकिस्तानी नागरिक था और वह पाक सेना की विशेष इकाई का पूर्व कमांडो रह चुका था। बाद में सुलेमान की मुलाकात हाफिज सैयद से हुई जिसके बाद उसको लश्कर के मुरीदके आतंकी कैंप मुख्यालय में प्रशिक्षण का काम दिया गया था, जहां वह आतंकवादियों को प्रशिक्षित करता था।

कौन था आतंकी सुलेमान, कैसे की घुसपैठ

वर्ष 2022 में, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सुलेमान को कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और युवाओं की फिर से भर्ती करने की बड़ी ज़िम्मेदारी दी थी और उसे कश्मीर जाने को कहा। बताया जाता है कि सितंबर 2023 में सुलेमान अपने चार साथियों के साथ पाकिस्तान से घुसपैठ कर कश्मीर की घाटी में दाखिल हुआ था। सीमा पार करने के बाद, सुलेमान सबसे पहले दक्षिण कश्मीर के कुलगाम इलाके में गया जहां उसकी मुलाक़ात दक्षिण कश्मीर के लश्कर के शीर्ष स्थानीय कमांडर जुनैद से हुई और फिर सुलेमान और जुनैद दोनों जून 2024 में दक्षिण कश्मीर से दाचीगाम वन क्षेत्र से सोनमर्ग पहुंचे और जोजिला सुरंग पर हमले की योजना बनाई।

सुरक्षाबलों की सूत्रों के अनुसार और फिर अक्टूबर 2024 में सोनमर्ग सुरंग हमले को अंजाम दिया, जिसमें सात मज़दूर मारे गए थे। इस हमले में सुलेमान के साथ जुनैद भट्ट भी शामिल था। जुनैद भट्ट की मदद से सुलेमान इस हमले को अंजाम देने में कामयाब रहा था।

सोनमर्ग सुरंग हमले को दिया अंजाम

सुरंग हमले के बाद, सुरक्षा बलों ने सुलेमान और जुनैद भट्ट की तलाश में सोनमर्ग के गगनगीर से लेकर दाचीगाम के पूरे वन क्षेत्र में कई दिनों तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया। सुरक्षा बलों के पास पुख्ता जानकारी थी कि जुनैद भट्ट पाकिस्तानी मूल के आतंकवादी कमांडर सुलेमान और उसके अन्य साथियों के साथ वन क्षेत्र में शरण लिए हुए है। आखिरकार, दो महीने बाद, दिसंबर 2024 में, जुनैद भट्ट को सुरक्षा बलों ने दाचीगाम इलाके में एक मुठभेड़ में मार गिराया। जब वह दाचीगाम से दक्षिण कश्मीर की ओर जा रहा था। तब जुनैद भट्ट अकेला था।

26 लोगों की हत्या के बाद जंगलों में छिपे थे आतंकी

जुनैद भट्ट की हत्या के बाद, सुलेमान अपने तीन अन्य साथियों, जिबरान और अफगानी अबू हमजा के साथ दाचीगाम वन क्षेत्र में छिपा हुआ था। जानकारी के अनुसार, गगनगीर और सोनमर्ग के बीच जुनैद के कई ठिकाने थे, जिनका इस्तेमाल सुलेमान और उसके अन्य साथी करते रहे। जानकारी के मुताबिक दाचीगाम से सुलेमान अपना ग्रुप के साथ दक्षिणी कश्मीर चला गया जहां पहलगाम हमले की साज़िश रची गई और लोकल समर्थकों के साथ मिल कर पहलगाम हमले की साज़िश रची और 22 अप्रैल को पहलगाम में नरसंहार किया गया जिस में 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या की गई। 

सेना ने तीन आतंकियों को उतारा मौत के घाट

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, सुलेमान शाह अपने साथियों के साथ दक्षिण कश्मीर के जंगलों को छोड़कर पहले जम्मू क्षेत्र में जाना चाहता था। कड़े तलाशी अभियान और दो बार उसकी गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद, सुलेमान ने अपना रास्ता बदल दिया और आठ दिनों तक दक्षिण कश्मीर के जंगलों में रहने के बाद, वह दाचीगाम इलाके की ओर चल पड़ा। इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि यहां के वन क्षेत्र में पहले से ही ठिकाने बनाए हुए थे और उस समय सुरक्षाबलों का ध्यान दक्षिण कश्मीर की ओर अधिक था, इसलिए यह ग्रुप  वापस दाचीगाम की ओर चला गया, जहां कल तीनों आतंकवादियों को उनके ठिकाने में मार गिराया गया।

कौन था मारा गया आतंकी हबीब अफगानी

हबीब अफगानी 2018 में इस्लामी जमात तलाबा और यासीन मलिक की जेकेएलएफ की छात्र शाखा एसएलएफ में शामिल हुआ था और 2020 तक रावलकोट में इस्लामी जमात तलाबा का प्रमुख भी रहा, लेकिन कश्मीर में सशस्त्र संघर्ष का समर्थक होने के कारण हबीब ताहिर उर्फ हबीब अफगानी इस्लामी मीयत तलाबा छोड़कर लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया। इसी प्रकार, लश्कर-ए-तैयबा ने भी अपने प्रॉक्सी सोशल मीडिया अकाउंट से यही जानकारी साझा करके आतंकवादी हबीब अफगानी को श्रद्धांजलि दी।

हबीब ने बनाई थी पहलगाम हमले की योजना

हबीब ताहिर, जिसका कोड नाम अबू हमज़ा अफ़ग़ानी था, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के खैगाला का एक पाकिस्तानी नागरिक था। वह पाकिस्तानी सेना का एक पूर्व सैनिक था, जो लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने से पहले विशेष सेवा समूह (एसएसजी) से जुड़ा था और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) में ए-श्रेणी के आतंकवादी के रूप में शामिल होने से पहले विशेष सेवा समूह (एसएसजी) से जुड़ा था। एसएसजी के एक पूर्व सदस्य के रूप में, अफ़ग़ानी को जंगल में युद्ध और गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण प्राप्त था। अफ़ग़ानी 22 अप्रैल, 2025 को बैसरन घाटी के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में शामिल था। उसकी भूमिका सैन्य योजना बनाने और उसे अंजाम देने की थी। 

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