
भारत बनाम इंग्लैंड
भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की रोमांचक टेस्ट सीरीज अब अपने अंतिम मुकाम पर पहुंच चुकी है। चार मैचों के बाद मेजबान इंग्लैंड सीरीज में 2-1 से आगे है। अब दोनों टीमें लंदन के ऐतिहासिक केनिंग्टन ओवल मैदान पर आखिरी और निर्णायक टेस्ट खेलने उतरेंगी। हालांकि इस मैदान पर भारतीय टीम का रिकॉर्ड चिंताजनक रहा है, जिससे मुकाबले के और भी चुनौतीपूर्ण होने के आसार हैं। टीम इंडिया के सामने आखिरी टेस्ट में इंग्लैंड को हराकर सीरीज बराबरी पर खत्म करने की मुश्किल चुनौती है।
ओवल में भारत का रिकॉर्ड
केनिंग्टन ओवल में टीम इंडिया ने अब तक कुल 15 टेस्ट मुकाबले खेले हैं, जिनमें से उसे सिर्फ दो मैचों में जीत नसीब हुई है। 6 बार उसे हार का सामना करना पड़ा है, जबकि सात मुकाबले ड्रॉ पर खत्म हुए हैं। इस मैदान पर आखिरी बार भारत ने 2021 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेला था, जिसमें उसे 157 रनों से जीत मिली थी। यह इस मैदान पर भारत की अब तक की सबसे बड़ी जीत है।
1971 में पहली जीत
भारत ने केनिंग्टन ओवल में अपना पहला टेस्ट अगस्त 1936 में खेला था, जिसमें उसे इंग्लैंड से 9 विकेट से हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद 1946 और 1952 में हुए मुकाबले ड्रॉ रहे। साल 1959 में भारत को पारी और 27 रन से करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
पहली जीत भारत को 1971 में मिली, जब अजित वाडेकर की कप्तानी में टीम इंडिया ने ओवल मैदान पर इंग्लैंड को 4 विकेट से हराकर इतिहास रचा। यह जीत भारत के विदेशों में टेस्ट इतिहास की सबसे अहम सफलताओं में गिनी जाती है। 1979, 1982, 1990, 2002 और 2007 में भारत ने लगातार पांच टेस्ट यहां खेले, लेकिन सभी ड्रॉ रहे।
फिर शुरू हुआ हार का सिलसिला
अगस्त 2011 में इंग्लैंड ने भारत को पारी और 8 रन से हराया। इसके बाद 2014 में भारतीय टीम को फिर से पारी और 244 रन से करारी शिकस्त मिली। 2018 में भी भारत को 118 रन से हार झेलनी पड़ी। लेकिन 2021 में भारत ने इस मैदान पर अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए मेजबान को 157 रन से मात दी।
WTC फाइनल में भी हार
जुलाई 2023 में भारत ने इसी मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का फाइनल खेला था। इस खिताबी मुकाबले में भारत को 209 रन से हार झेलनी पड़ी, जिससे ओवल में भारत के नाम एक और हार जुड़ गई। अब जबकि सीरीज का निर्णायक टेस्ट इसी मैदान पर खेला जाना है, तो भारत के सामने इतिहास को बदलने की चुनौती होगी। एक ओर जहां इंग्लैंड घरेलू परिस्थितियों और बढ़त के आत्मविश्वास के साथ उतरेगा, वहीं भारत को अपने रिकॉर्ड से ऊपर उठकर जीत दर्ज करनी होगी ताकि वह सीरीज को बराबरी पर खत्म कर सके।