‘यह UPA का षड्यंत्र था, तब की सरकार जिम्मेदार’ मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी रिहा होने पर बोले देवेंद्र फडणवीस


Devendra Fadanvis
Image Source : REPORTER INPUT
देवेंद्र फडणवीस

मालेगांव ब्लास्ट मामले के सभी आरोपियों को एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया है। इस पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार पूरे फैसले को विस्तार से देखेगी। इसके बाद ही कुछ फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से चीजें सामने आ रही हैं, उससे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि यह षड्यंत्र था। यह पूरा षड्यंत्र कांग्रेस गठित यूपीए सरकार का था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए महाराष्ट्र पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए। इस पर फडणवीस ने कहा कि इसके लिए पुलिस से ज्यादा तत्कालीन सरकार जिम्मेदार है।

पडणवीस ने कहा कि 9/11 हमले के बाद इस्लामिक आतंकवाद का नैरेटिव पूरी दुनिया में सेट हुआ था। इसको जवाब देने के लिए और कट्टर लोगों के वोट बटोरने के लिए, उनको वोट बैंक में परिवर्तित करने के लिए हिन्दू आतंकवाद या फिर भगवा आतंकवाद का नैरेटिव सेट करने की कोशिश की गई। इसे आगे लाने के लिए पुलिस पर दबाव डाला गया। इसलिए पुलिस से ज्यादा उस वक्त की सरकार जिम्मेदार है।

कोर्ट ने पुलिस की जांच पर उठाए सवाल

एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए थे। अदालत ने कहा कि स्पॉट पंचनामा करते वक्त घटना के बाद जो हंगामा हुआ उस दौरान वहां के पत्थर को सीज नहीं किया गया। फिंगर सैंपल नहीं कलेक्ट किया गया। जो सबूत कलेक्ट किए गए वो कंटामिनेटेड हो सकते हैं। बाइक का चेसिस वाइप आउट नहीं किया गया था। इसको रिस्टोर नहीं किया गया। पंचनामा करते समय जांच अधिकारी द्वारा घटनास्थल का कोई स्केच नहीं बनाया गया। सभी गवाहों को बेनिफिट ऑफ डाउट के आधार पर बरी किया गया है।

क्या है मामला?

29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मोटरसाइकिल में तेज धमाका हुआ था। इसमें 6 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। धमाका अंजुमन चौक के पास भिक्कू चौक पर हुआ था। NIA ने 323 से ज्यादा अभियोजन पक्ष के गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से लगभग 40 अपने बयानों से मुकर गए। 17 साल की जांच में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और सबूत जुटाए गए। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है। हालांकि, इस मामले पर सरकार आगे अपील कर सकती है।





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