Explainer: रिहायशी इलाकों में क्यों बढ़ रहे हैं बाघों के हमले, पिछले पांच साल में कितनी मौतें, क्या है सरकार की योजना? जानें सबकुछ


Tigers in India
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Tigers in India

Tiger In India: भारत को बाघों का घर कहा जाता है क्योंकि यहां दुनिया के 70 फीसदी से अधिक बाघों को संरक्षण मिलता है। बाघ ना केवल हमारे पर्यावरण का अहम हिस्सा हैं बल्कि जैव विविधता की श्रृंखला में शीर्ष पर हैं। भारत सरकार ने बाघों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें प्रमुख है प्रोजेक्ट टाइगर। इन सबके बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाघों के लिए जंगल सिमटते जा रहे हैं जिससे इंसानों के साथ उनका संघर्ष भी बढ़ता जा रहा है। 

संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़े

इसी को लेकर संसद में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2020 और 2024 के बीच बाघों के हमलों में 378 लोगों की मौत दर्ज की गई है जिनमें सबसे अधिक मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं। राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में, पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि 2022 में बाघों के हमलों में 110 लोग मारे गए, जो पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक है। इसके अलावा 2020 में 51, 2021 में 59, 2023 में 85 और 2024 में 73 मौतें बाघों के हमलों में हुई हैं।

कहां हुई हैं सबसे अधिक मौतें

आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में सबसे अधिक मौतें हुईं, जहां 5 वर्षों में बाघों के हमलों में 218 लोगों की जान गई है। राज्य में अकेले 2022 में 82 मौतें दर्ज की गई हैं। उत्तर प्रदेश में 61 मौतें हुई है, जिनमें 2023 में 25 मौतें शामिल हैं। अपने बाघ अभयारण्यों के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश में इसी अवधि के दौरान 32 मौतें हुई हैं।

भारत के प्रमुख टाइगर रिजर्व

इस बीच यहां यह भी बता दें कि 2025 तक भारत में कुल 55 टाइगर रिजर्व हैं, जिन्हें प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत संरक्षित किया गया है। ये बाघ अभयारण्य 18 राज्यों में फैले हुए हैं और इनका संचालन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA – National Tiger Conservation Authority) करता है।

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अभ्यारण्यों के बाहर हुई बाघों की मौत

अभी तक आपने लोगों की मौत का आंकड़ा लेकिन अब जरा एक नजर बाघों की मौत पर भी डाल लेते हैं। संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में बाघों की मौत हुई है। ओडिशा, राजस्थान, झारखंड और मिजोरम जैसे राज्यों में कोई मौत दर्ज नहीं की गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2021 और 2025 के बीच भारत में अब तक बाघों की आधी से अधिक मौतें संरक्षित अभ्यारण्यों के बाहर हुई हैं, जिनमें महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक संख्या है।

क्या कहते हैं आंकड़े

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार, 2021 और 2025 के बीच 667 बाघों की मौत हुई है, जिनमें से 341 या 51 प्रतिशत बाघ अभ्यारण्यों के बाहर थे। महाराष्ट्र में रिजर्व के बाहर सबसे ज्यादा 111 बाघों की मौत हुई, उसके बाद मध्य प्रदेश में 90 बाघों की मौत हुई है। एनटीसीए के आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि 2012 और 2024 के बीच 1,519 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 634 या 42 प्रतिशत रिजर्व के बाहर थे।

  • वर्ष-वार आंकड़े 
  • 2021 में 129 बाघों की मौत
  • 2022 में 122 बाघों की मौत
  • 2023 में 182 बाघों की मौत 
  • 2024 में 126 बाघों की मौत
  • 2025 में अब तक 108 बाघों की मौत 
  • सरकार शुरू करने जा रही है बड़ी परियोजना

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इस बीच यहां यह भी बता दें कि, वर्तमान में, भारत के अनुमानित 3,682 बाघों में से लगभग 30 प्रतिशत अधिसूचित बाघ रिजर्व के बाहर रहते हैं। इन क्षेत्रों में बढ़ते मानव-बाघ संघर्ष से निपटने के लिए, सरकार जल्द ही टाइगर्स आउटसाइड टाइगर रिजर्व्स परियोजना शुरू करने की योजना बना रही है, जो 17 राज्यों के 80 वन प्रभागों को कवर करेगी। 2022 में किए गए नवीनतम बाघ जनसंख्या अनुमान के अनुसार, मध्य प्रदेश में लगभग 785 बाघ, महाराष्ट्र में 444, कर्नाटक में 563, उत्तराखंड में 560, तमिलनाडु में 306, असम में 229, केरल में 213 और उत्तर प्रदेश में 205 बाघ हैं।

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