
मुमताज ने खुद को बताया था राजेश खन्ना की गुरु।
60-70 के दशक में सायरा बानो, साधना, आशा पारेख, सिमी ग्रेवाल, शर्मिला टैगोर से लेकर बबीता जैसी अभिनेत्रियों का राज था। लेकिन, क्या आप 60-70 के दशक की उस अभिनेत्री के बारे में जानते हैं, जो खुद को राजेश खन्ना का एक्टिंग गुरु मानती हैं। इस दिग्गज अदाकारा ने 16 साल की उम्र से ही अपने करियर की शुरुआत कर दी थी और शम्मी कपूर से लेकर देव आनंद, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र और राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार्स के साथ काम किया। खासतौर पर राजेश खन्ना के साथ इनका बॉन्ड हमेशा से अलग रहा। लेकिन, शादी करते ही इन्होंने फिल्मी दुनिया से दूरी बना ली और अब 78 साल की उम्र में कमबैक की ख्वाहिश रखती हैं। हम बात कर रहे हैं 60-70 के दशक की टॉप एक्ट्रेस रहीं मुमताज की, जो आए दिन किसी ना किसी वजह से चर्चा में रहती हैं।
11 साल की उम्र से शुरू कर दिया था काम
एक समय था जब बॉलीवुड में मुमताज के ही नाम का हल्ला हुआ करता था। तमाम बड़े स्टार उनके साथ काम करना चाहते थे और डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स की भी वह पसंद बन चुकी थीं। मुमताज ने ‘सोने की चिड़िया’ (1958) से एक्टिंग करियर शुरू किया था, जिसमें वह बतौर बाल कलाकार नर आई थीं और 1963 में ‘फौलाद’ पहली फिल्म थी जिसमें उन्होंने एक मुख्य भूमिका निभाई थी। 60-70 के दशक में उन्होंने खूब काम किया और संजीव कुमार, शम्मी कपूर से लेकर देव आनंद जैसे स्टार्स के साथ काम किया। यही नहीं, वह सुपरस्टार राजेश खन्ना को डांस भी सिखाया करती थीं और खुद को सुपरस्टार का मेंटॉर मानती हैं।
खुद को बताया राजेश खन्ना की गुरु
मुमताज ने पाकिस्तानी एक्टर एहसान खान के साथ बातचीत में राजेश खन्ना के बारे में बात की थी। इस दौरान उन्होने एक पॉपुलर सॉन्ग का जिक्र किया, जिस पर राजेश खन्ना डांस नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने बताया कि उस दौरान उन्होंने कई बार राजेश खन्ना को डांस सिखाने की कोशिश की। यही नहीं उन्होंने इस दौरान ये भी बताया कि वह अक्सर ही काका को डांस सिखाती थीं, क्योंकि वह डांस में कच्चे थे। उन्होंने कहा- ‘मैं राजेश खन्ना की गुरु थी।’
इस फिल्म के बाद हिल गया था मुमताज का स्टारडम
हिंदी सिनेमा में 60-70 के दशक की खूबसूरत अभिनेत्रियों का जब भी जिक्र होता है तो मुमताज का नाम जरूर लिया जाता है। एक समय था जब बॉलीवुड पर उनका राज हुआ करता था। उनका असली नाम मुमताज बेगम जहान देहलवी था, जिन्होंने 11 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मी दुनिया में कदम रख दिए थे। लेकिन, जीनत अमान की एंट्री के बाद उनके स्टारडम पर काफी असर पड़ा। खासतौर पर 1971 में रिलीज हुई ‘हरे राम हरे कृष्ण’ के बाद, जिसमें मुमताज एक छोटे से रोल में थीं और जीनत अमान लीड रोल में दिखाई दी थीं। फिल्म की रिलीज के बाद जीनत अमान रातोंरात छा गईं और मुमताज का स्टारडम फीका पड़ने लगा। देखते ही देखते मेकर्स मुमताज की जगह जीनत अमान को लीड रोल में लेने लगे।