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बॉलीवुड में फिल्मों का भंडार है और हर फिल्म किसी न किसी तरह से दर्शकों को जोड़ने का काम करती है। कोई न कोई फिल्म आपकी जिंदगी की किसी न किसी स्थिति से जुड़ी कोई न कोई कहानी जरूर पेश करती है। जैसा कि आज फ्रेंडशिप डे है, तो चलिए आपको दोस्ती पर बनी कुछ फिल्मों के बारे में बताते हैं, जो आप इस फ्रेंडशिप डे पर अपने दोस्तों के साथ बैठकर एंजॉय कर सकते हैं। ये फिल्में इस बात को खूबसूरती से दिखाती हैं कि कैसे बॉलीवुड ने दोस्ती को केवल एक्शन और माचो छवि से आगे बढ़कर भावनात्मक गहराई, कमजोरी और सच्चे सपोर्ट के साथ पेश किया है।

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सुजॉय घोष द्वारा निर्देशित और प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस द्वारा निर्मित, ‘झनकार बीट्स’ अपने समय से बहुत आगे थी। दीप और ऋषि, दो एडी पेशेवर, जो अपने काम, वैवाहिक समस्याओं और आर.डी. बर्मन के लिए अपने प्यार के बीच संतुलन बनाते हैं, कहानी का सार हैं। देर रात की म्यूजिक जैमिंग और ईमानदार बातचीतों के ज़रिए यह फिल्म दिखाती है कि पुरुषों की दोस्ती भी भावुक, मजेदार और बेहद सच्ची हो सकती है। एक कल्ट क्लासिक जो आज भी हर उस इंसान से जुड़ती है।

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आमिर खान, अक्षय खन्ना और सैफ अली खान स्टारर फिल्म की कहानी ने साबित किया कि दोस्तों का एक जैसा सोचना जरूरी नहीं है। सिर्फ बिना शर्त साथ देना जरूरी है। अलग-अलग व्यक्तित्व और प्यार को लेकर अलग-अलग सोच के बावजूद उनकी वफादारी कभी नहीं डगमगाती।

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कॉलेज वाली दोस्ती पर बेस्ड 3 ईडियट्स इस बात का जश्न मनाती है कि सच्चे दोस्त आपको सिर्फ सफल नहीं बनाते, बल्कि उस इंसान की ओर ले जाते हैं जो आप वास्तव में बनना चाहते हैं। न कि जैसा समाज चाहता है।

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नैना, बन्नी, अदिति और अवि की दोस्ती जिंदगी के दो ऐसे दौर से गुजरती है, जहां इनके बीच की दोस्ती खूबसूरती से विकसित होती है। दो सफर के जरिए। यह फिल्म दिखाती है कि असली दोस्ती समय, करियर, प्यार और पर्सनल ग्रोथ के साथ कैसे बदलती और टिकती है।

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डीजे, करण, सुखी और असलम जैसे कॉलेज के मस्तमौला दोस्त, धीरे-धीरे समाज में बदलाव लाने वाले क्रांतिकारियों में बदल जाते हैं। यह फिल्म दोस्ती को एक ऐसे बदलाव के साधन के रूप में दिखाती है जो साधारण लोगों को असाधारण हिम्मत और उद्देश्य दे सकती है।

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अर्जुन, कबीर और इमरान की बैचलर ट्रिप पुराने जख्मों को भरने और अपने रिश्ते को फिर से तलाशने का सफर बन जाती है। साझा रोमांच और ईमानदार बातचीत के जरिए, वे साबित करते हैं कि दोस्ती आपको बेहतर इंसान बनने में मदद करती है।

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ईशान, गोविंद और ओमी की दोस्ती एक कठिन अग्निपरीक्षा से गुजरती है। धोखा, महत्वाकांक्षा और सामाजिक दबाव के बीच। यह फिल्म दोस्ती की जटिलताओं को बेहद वास्तविकता के साथ पेश करती है, साथ ही यह संदेश देती है कि सच्ची दोस्ती में माफ करना और रिश्तों को स्वार्थ से ऊपर रखना शामिल होता है।