
एक से अधिक वोटर कार्ड हो तो क्या करें
बिहार में राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के पास दो वोटर आईडी कार्ड होने की बात पता चली है जिसके बाद बवाल मचा हुआ है। पहले तो उन्होंने दावा किया कि उनका नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं है, फिर चुनाव आयोग ने उनके एपिक नंबर के साथ उनका नाम वोटर लिस्ट में दिखा दिया और फिर उसके बाद चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव पर ही सवाल ठोक दिया कि उनके पास दो वोटर कार्ड कैसे आए। आयोग ने तुरंत इस पर उनका स्पष्टीकरण भी मांग लिया। अब अगर ये साबित हो गया कि सच में तेजस्वी यादव के पास दो वोटर कार्ड हैं और इसमें एक को उन्होंने कैंसिल नहीं कराया है तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला बनता है।
कई लोगों के पास हो सकते हैं दो वोटर आईडी कार्ड
भारत में दो वोटर कार्ड रखने वालों की संख्या बताना मुश्किल है, लेकिन चुनाव आयोग, ADR और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में ऐसे मतदाताओं की संख्या लाखों में हो सकती है, जिनके पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं। चुनाव आयोग ने बताया था कि पूरे देश में 1.2 करोड़ (12 मिलियन) से अधिक नाम डुप्लिकेट, मृतक, या गलत पते पर पाए गए थे। इनमें से एक बड़ी संख्या में लोग ऐसे थे जिनके पास दो वोटर वोटर आईडी कार्ड थे।
चुनाव आयोग तय करेगा
अगर आपके पास भी दो EPIC कार्ड वास्तव में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के हैं और अचानक बनवाए गए हैं, तो इसका खुलासा होने पर आपराधिक मामला बनता है। इस मामले में चुनाव आयोग की जांच यह तय करेगी कि किस एपिक नंबर को आधिकारिक माना जा सकता है और कौन सा एपिक नंबर डुप्लीकेट है। ऐसे में यदि जांच के बाद आरोप साबित होते हैं तो उस वोटर पर सबसे पहले एफआईआर, वित्तीय जुर्माना, या जेल तक की सजा हो सकती है।
दो वोटर आईडी कार्ड रखना है अपराध
क्या कहता है जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950
- धारा 17 (Section 17) – कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान नहीं कर सकता है।
- धारा 18 (Section 18) – एक निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक ही बार नामांकन हो सकता है।
- धारा 31 (Section 31) – यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर झूठा घोषणा-पत्र देता है या जानबूझकर मतदाता सूची में गलत जानकारी दर्ज कराता है, तो यह अपराध है।
दो वोटर आईडी कार्ड रखने वालों को क्या सजा हो सकती है
- एक साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों।
- अगर आप दोनों वोटर कार्ड का इस्तेमाल, या दोनों पहचान पत्रों का इस्तेमाल पहचान के तौर पर करते हैं तो यह चुनावी धोखाधड़ी है।
- निर्वाचन आयोग नोटिस भेज सकता है।
- आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है।
- आप पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
- भविष्य में चुनाव लड़ने या सरकारी योजना का लाभ लेने में बाधा आ सकती है।
- आपका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।