हिमाचल में मानसून का कहर, 184 मौतें, 309 सड़कें हुईं बंद…देखिए तबाही का VIDEO


हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी
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हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी

हिमाचल प्रदेश में मानसून कहर बरपा रहा है। पूरे राज्य में भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ का सिलसिला जारी है। सोमवार को राष्ट्रीय राजमार्ग 305 सहित कुल 309 सड़कें भूस्खलन और अचानक बाढ़ के कारण अवरुद्ध हो गईं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के अनुसार, 236 जल आपूर्ति योजनाएं और 113 वितरण ट्रांसफार्मर ((DTRs) भी काम नहीं कर रहे हैं।

बारिश से संबंधित कारणों से हुईं मौतें?

राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) की रिपोर्ट के अनुसार, 20 जून से 3 अगस्त, 2025 तक मानसून के मौसम में अब तक कुल 184 मौतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 103 मौतें सीधे तौर पर बारिश से संबंधित कारणों से हुईं, जैसे भूस्खलन (17), अचानक बाढ़ (8), बादल फटना (17), डूबना (20), बिजली का झटका (7) और मौसम से संबंधित अन्य घटनाएं (34)। 81 अन्य लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई, जिनमें से अधिकांश पहाड़ी इलाकों और क्षतिग्रस्त सड़कों पर हुई थीं।

  1. मंडी सबसे ज्यादा प्रभावित जिला बनकर उभरा है, जहां बारिश से संबंधित 23 मौतें और सड़क दुर्घटनाओं में 14 मौतें हुई हैं। इसके अलावा, मंडी में ही सबसे ज्यादा बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है, जहां 167 सड़कें बंद हैं और सबसे अधिक जल आपूर्ति (74 योजनाएं) और बिजली सेवाएं (91 ट्रांसफार्मर) बाधित हुई हैं।
  2. कांगड़ा जिले में मौसम से संबंधित 24 मौतें और छह दुर्घटना मौतें हुईं, जबकि कुल्लू में 10 मानसून से संबंधित मौतें और आठ सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। चंबा और शिमला में भी कई हताहत और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है।
  3. लाहौल-स्पीति में, दारद नाला पर एक पुल ढहने से मैदग्रान और कुरछेद के बीच संपर्क टूट गया है, जिससे स्थानीय समुदाय अलग-थलग पड़ गए हैं।
  4. कुल्लू में, झेड (खनाग) के पास एक बड़े भूस्खलन ने राष्ट्रीय राजमार्ग 305 को बंद कर दिया है, हालांकि हल्के वाहनों के लिए वर्तमान में कंदुगाद के माध्यम से एक अस्थायी रास्ता उपलब्ध है।

सबसे दुर्गम गांव की बढ़ीं मुश्किलें

वहीं, लगातार हो रही बारिश ने कुल्लू जिले के सबसे दुर्गम क्षेत्र की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीते दिनों यहां के सबसे दुर्गम गांव “मरौड़” को जाने वाला एकमात्र पुल बाढ़ में बह गया। अब ग्रामीणों को उफनते नाले को पार करने के लिए दो पेड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। दो पेड़ों को उफनते नाले पर डाला गया है। पेड़ से पांव फिसलने का मतलब सिर्फ मौत है।

एसडीएमए ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में बारिश जारी रहने की उम्मीद के साथ भूस्खलन, अचानक बाढ़ और सेवाओं के टूटने का जोखिम अधिक है। राज्य भर में बहाली और राहत कार्य जारी हैं।

सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में मंडी, कुल्लू और चंबा

रविवार को, आपदा के कारण 296 सड़कें बंद हो गईं, 134 बिजली वितरण ट्रांसफार्मर सेवा से बाहर हो गए और 266 जल आपूर्ति योजनाएं बाधित हो गईं, जिससे पहाड़ी राज्य में मूसलाधार बारिश से हुए व्यापक बुनियादी ढांचे के नुकसान का पता चलता है। सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में मंडी, कुल्लू और चंबा शामिल हैं, जो सड़क अवरोधों और सार्वजनिक सेवा टूटने का एक बड़ा हिस्सा हैं। लाहौल-स्पीति में राष्ट्रीय राजमार्ग-505 भी भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण बंद है।

एसडीएमए की रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़कों, बिजली लाइनों, जल प्रणालियों, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और स्कूलों सहित सार्वजनिक संपत्ति को कुल नुकसान 1,71,495 लाख से अधिक है, जिसमें 88,800 हेक्टेयर से अधिक फसलें प्रभावित हुई हैं, मुख्य रूप से कृषि और बागवानी में।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राज्य के कई हिस्सों में अगले 12 घंटों में हल्की से मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है। अगले 12 घंटों में बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना जिलों में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और एक या दो स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। (ANI इनपुट के साथ)

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