
साउथ विलेन उदयप्रकाश
साउथ का ये विलेन भले ही घर-घर में मशहूर न हों, लेकिन एक जमाने में उनका चेहरा तमिल सिनेमा के दर्शकों में खौफ पैदा कर देता था। जी हां, हम बात कर रहे हैं उदयप्रकाश की, जिन्हें 1991 की हिट फिल्म ‘चिन्नाथम्बी’ में खुशबू के दबंग भाइयों में से एक के रूप में उनके खौफनाक अभिनय के लिए कई लोग याद करते हैं। उनमें एक खलनायक बनने के वो सारे गुण थे जो एक विलेन में होने चाहिए। हालांकि, पर्दे के पीछे उनकी जिंदगी बहुत अलग थी। नशे की लत में उन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया। उनका करियर, परिवार और आखिरकार खुद की जिंदगी से भी हाथ धोखे बैठे। ऊटी में मणिकंदन के रूप में जन्मे उदयप्रकाश एक अनुशासित सेना अधिकारी के बेटे थे। अभिनय के प्रति जुनून उन्हें चेन्नई खींच लाया, जहां उन्होंने एक ऐसे इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करना शुरू किया। वह पहली बार ऑन-स्क्रीन ‘वरुशम 16’ में दिखाई दिए, लेकिन इसमें उनकी भूमिका का कोई डायलॉग नहीं था।
विलेन बन चमकी किस्मत
उन्हें असली सफलता ‘संयोग’ से मिली। दरअसल, अभिनेता परी से मिलने एक हवेली गए जहां उदयप्रकाश पर एक निर्माता की नजर पड़ी और वह उनके रौबदार रूप और खतरनाक आवाज से बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद उन्हें तेलुगु फिल्म ‘वैजयंती आईपीएस’ (1990) में विजयशांति के साथ काम करने का मौका मिला, जिसने तमिल और तेलुगु दोनों ही फिल्मों में उनके लिए रास्ते खोल दिए। उन्हें कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका मिलने लगी और वह साउथ सिनेमा में खतरनाक किरदार निभाने के लिए जाने जाने लगे। उनके किरदार ही उनकी पहचान थी। असली मोड़ ‘चिन्नाथम्बी’ के साथ आया, जहां उदयप्रकाश ने एक लीड खलनायक का किरदार निभाकर सभी का दिल जीत लिया। उन्हें इस फिल्म से जबरदस्त सफलता मिली। इसके बाद वह ‘मन्नान’, ‘मेत्तुकुडी’ और ‘इथु नम्मा भूमि’ जैसी तमिल फिल्मों में नजर आए। साथ ही उन्हें रजनीकांत, कार्तिक, प्रभु और सरथकुमार जैसे सितारों के साथ काम करने का मौका भी मिला। एक समय ऐसा भी आया जब निर्देशक पी वासु ने उदयप्रकाश को अपना पसंदीदा खलनायक बना लिया था। प्रसिद्धि के साथ प्यार भी आया। उन्होंने एक ऐसी लड़की से शादी की जो एक फिल्म की शूटिंग देखने आई थी और ऐसा लग रहा था कि वे गृहस्थ जीवन में रम गए हैं। लेकिन, पर्दे के पीछे उनके पतन के बीज बोए जा चुके थे। नशे में उन्होंने सब धीरे-धीरे बर्बाद कर दिया।
नशे में धुत एक्टर की सड़क पर हुई मौत
फिल्म की शूटिंग के बाद जश्न मनाने के लिए शराब पीने की जो आदत शुरू हुई। वह पूरी तरह से लत में बदल गई। एक अनुशासित सैनिक का बेटा होने के बावजूद उदयप्रकाश शराब की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाए। जैसे-जैसे उनकी शराब पीने की आदत बढ़ती गई, वे फिल्म की शूटिंग नहीं कर पाते थे। इतना ही नहीं उनके हाथ से ऑफर भी छुटाने लगे और आखिरकार उनका परिवार उनसे दूर हो गया। कर्ज बढ़ता गया और वे लोगों की यादों से ओझल हो गए। आखिरकार, उन्होंने चेन्नई छोड़ दिया और सलेम चले गए, जहां वे एक जीर्ण-शीर्ण आश्रय में रहते थे। एक महिला साधु के सहारे गुजारा करते थे। उनकी हालत का पता तब चला जब नादिगर संगम ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने उनके इलाज की व्यवस्था की और अभिनेता सरथकुमार की मदद से उदयप्रकाश ने 2003 की फिल्म ‘दीवान’ से फिर से वापसी की। लेकिन, पैसा वापस आ गया और वह फिर से शराबी बन गए। पहले से ही ठीक होने की कोशिशों के बावजूद, उनकी हालत पहले से कहीं ज्यादा बिगड़ गई। अस्थमा से जूझते हुए उनका लिवर तेजी से बिगड़ रहा था। निर्देशक पी. वासु ने एक बार फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन कुछ दिनों बाद उदयप्रकाश किसी की नजर में आए बिना ही बाहर निकल आए और नदीगर संगम कार्यालय के पास सड़क पर बेहोश पाए गए। कुछ ही देर बाद सिर्फ 40 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।