सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि वह घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं को सब्सिडी के ट्रांसफर में विशेष पारदर्शी कदम उठा रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में एक तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी देते हुए कहा कि सब्सिडी के पारदर्शी और समावेशी हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। पुरी ने बताया कि सरकार द्वारा लागू की गई कई पहलों जैसे- PAHAL (डीबीटीएल) योजना, आधार-आधारित सत्यापन, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, और अयोग्य या डुप्लिकेट कनेक्शनों की पहचान कर उन्हें हटाना, इन सब प्रयासों के चलते लक्षित सब्सिडी हस्तांतरण की प्रणाली को काफी मजबूत किया गया है।
सरकार ने की है ये व्यवस्था
खबर के मुताबिक, पुरी ने यह भी कहा कि इन पहलों से न केवल सब्सिडी के वितरण में पारदर्शिता आई है, बल्कि फर्जी लाभार्थियों को हटाकर सही उपभोक्ताओं तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता सशक्तिकरण और सेवा पारदर्शिता में सुधार के लिए, देश भर के सभी एलपीजी वितरकों में आईवीआरएस/एसएमएस रिफिल बुकिंग प्रणाली लागू की गई है। इस प्रणाली के तहत, उपभोक्ताओं को रिफिल बुकिंग, कैश मेमो जनरेशन और रिफिल डिलीवरी जैसे प्रमुख चरणों पर एसएमएस सूचनाएं मिलती हैं, जिससे वे अपने लेन-देन को ट्रैक कर सकते हैं और गलत या न मिलने की स्थिति में रिपोर्ट कर सकते हैं।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी) शुरू किया है, जो कैश मेमो जनरेशन के समय उपभोक्ता को एसएमएस के माध्यम से भेजा जाता है और डिलीवरी के समय डिलीवरी कर्मियों के साथ साझा करना जरूरी होता है, जिससे प्रमाणीकरण सुनिश्चित होता है।
ऐसे में कार्रवाई का भी है प्रावधान
एलपीजी के डिस्ट्रीब्यूशन को रेगुलेट करने के लिए, पुरी ने बताया कि सरकार ने “द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (आपूर्ति एवं वितरण विनियमन) आदेश, 2000” अधिसूचित किया है। इसके अतिरिक्त, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी वितरकों द्वारा पालन किए जाने हेतु “विपणन अनुशासन दिशानिर्देश” तैयार किए हैं। इन दिशानिर्देशों में कदाचार में लिप्त पाए जाने वाले वितरकों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। एलपीजी के विपणन में अनियमितताओं के सभी स्थापित मामलों में, विपणन अनुशासन दिशानिर्देशों या वितरक अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है।