‘धराली के शिव’, खुदाई में निकले और फिर मलबे में समा गए, जानिए कल्प केदार मंदिर का इतिहास


कल्प केदार मंदिर का इतिहास- India TV Hindi
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कल्प केदार मंदिर का इतिहास

उत्तरकाशी बादल फटने की लाइव अपडेट: अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उत्तरकाशी में स्थित भगवान शिव को समर्पित प्राचीन कल्प केदार मंदिर मंगलवार को बादल फटने से आई अचानक बाढ़ के बाद मलबे में दब गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्राचीन कल्प केदार मंदिर भी अचानक बाढ़ के कारण आए मलबे में दब गया। कटुरे स्थापत्य शैली में निर्मित यह मंदिर केदारनाथ धाम से काफी मिलता-जुलता था और 1945 में एक गहरी खुदाई के दौरान खोजा गया था। यह आंशिक रूप से भूमिगत था, जहां भक्त पूजा करने के लिए कई फीट नीचे उतरते थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां बहने वाली नदी का पानी स्वाभाविक रूप से शिवलिंग की ओर बहता था, जिसका आकार नंदी की पीठ जैसा था, जो केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह के डिज़ाइन जैसा था।

कल्प केदार का इतिहास

महादेव शिवजी को समर्पित यह मंदिर ‘कल्प केदार धाम’ कहलाता है और इसका अपना अलग ही इतिहास है। इस मंदिर की शैली, बनावट सबकुछ केदारनाथ धाम जैसा ही है और जिस तरह केदारनाथ धाम का इतिहास है कि आइस एज में यह मंदिर चार सौ साल तक बर्फ में दबा रहा था, ठीक वैसे ही कल्प केदार मंदिर, बाढ़ या ऐसी ही किसी आपदा के कारण या तो यह भूमि में दब गया था, या फिर लुप्त हो गया था और बहुत पहले यह मंदिर खुदाई में मिला था और तब से इस मंदिर में पूजा पाठ होता था। 

खुदाई में मिला था मंदिर

स्थानीय लोगों के मुताबिक इस मंदिर का अधिकांश हिस्सा जमीन के नीचे ही दबा हुआ था और लोग नीचे उतरकर गहराई में ही जाकर मंदिर में भगवान का दर्शन-पूजन करते थे। इस मंदिर के गर्भगृह में जहां, शिवलिंग मंदिर में जमीन से नीचे की ही ओर था, लोगों ने आस पास की मिट्टी हटाकर मंदिर में भीतर जाने का रास्ता बनाया था। कहा जाता है कि 1945 के बाद खुदाई में जब मंदिर नजर आया, तब से ये अनुमान है कि ये मंदिर उन्हीं 240 लुप्त मंदिर समूहों में से एक हैं, जो समय-समय पर होने वाले भौगोलिक परिवर्तन के कारण लुप्त हो गए। ऐसा भी दावा किया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने  किया था।

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