रजत शर्मा का ब्लॉग | ट्रंप की धमकी में कितना दम?


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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

रूस से तेल ख़रीदने को लेकर अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल मॉस्को पहुंच गए हैं। NSA की मुलाक़ात रूस के राष्ट्रपति पुतिन और रूस के दूसरे बड़े अधिकारियों से होगी। अजित डोवल के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी इसी महीने रूस जाएंगे। अजित डोवल का मॉस्को दौरा इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप  रूस से तेल और हथियार ख़रीदने के कारण बार-बार भारत पर निशाना साध रहे हैं।

ट्रंप ने रूस से तेल ख़रीदने को लेकर भारत पर अतिरिक्त tariff और पेनाल्टी लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने अगले 24 घंटे में भारत के ऊपर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है। ट्रंप इस बात से नाराज हैं कि उनके मना करने के बाद भी भारत रूस से तेल क्यों खरीद रहा है। एक न्यूज़ चैनल के साथ बातचीत में ट्रंप ने कहा कि भारत लगातार रूस से तेल ख़रीद रहा है और इस तरह सूक्रेन में रूस की war machine को मदद पहुंचा रहा है। साथ ही ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत रूस के तेल खरीदने के बाद इसे खुले बाज़ार में बेचकर भारी मुनाफ़ा कमा रहा है। इसीलिए वह भारत पर टैरिफ और बढ़ाएंगे।

भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि रूस से तेल ख़रीदने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देश जो हमले कर रहे हैं, वो ग़लत है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद अमेरिका ने ही भारत से कहा था कि वो रूस से तेल ख़रीदे, ताकि अन्तरराष्ट्रीय तेल बाजार में स्थिरता बनी रहे। भारत ने कहा है कि यूरोपीय देश भी रूस से अरबों डॉलर का व्यापार कर रहे हैं, ऐसे में सिर्फ़ भारत को निशाना बनाना ठीक नहीं।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और रूस के रिश्ते सिर्फ़ तेल और हथियारों तक सीमित नहीं, दोनों देशों के बीच खाद से लेकर रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी और माइनिंग प्रोडक्ट्स तक कई सैक्टर में व्यापार होता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ख़ुद अमेरिका भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए सामान ख़रीद रहा है, खाद और रसायन मंगा रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जिस तरह यूरोप और अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों के हिसाब से चल रहे हैं, उसी तरह भारत भी किसी के दबाव में आए वगैर अपने राष्ट्रहित को देखते हुए फ़ैसला करेगा।

ट्रंप भारत को रूस के तेल खरीदने पर धमकी दे रहे हैं, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन प्रत्याशी रह चुकी निक्की हेली ने ट्रंप से पूछा कि कि जो चीन रूस और ईरान से सबसे ज्यादा तेल खरीदता है, उसको ट्रंप ने 90 दिन की मोहलत क्यों दी? फिर निक्की हेली ने ट्रंप को सलाह दी कि चीन को मोहलत मत दो, और भारत जैसे मजबूत मित्र देश से संबंध खराब मत करो।

लेकिन ट्रंप पक्के trader हैं। उनके लिए न रिश्तों का कोई महत्व है, न दोस्ती का। Elon Musk इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। मस्क ने चुनाव के दौरान ट्रंप की हर तरह से मदद की- पैसे से भी, मीडिया से भी, और campaign में भी, लेकिन जरा-सी खटपट हुई तो ट्रंप ने उन्हें वापस साउथ अफ्रीका भेजने की धमकी दे दी। मस्क की बात बुरी लगी तो ट्रंप ने टैक्स लगाकर Tesla को बर्बाद करने की धमकी दे दी।

ये ट्रंप का तरीका है। जो उनके हिसाब से कारोबार नहीं करेगा, tariff नहीं घटाएगा, वो उस पर इल्जाम लगाएंगे, उसको धमकाएंगे, लेकिन अगर कोई अपनी बात पर अड़ा रहे, तो फिर ट्रंप समझौता भी करते हैं। यही एक trader की पहचान होती है।

उत्तराखंड में तबाही का कारण क्या?

उत्तराखंड से दिल दहलाने वाली तस्वीरें आईं। उत्तरकाशी के पास धाराली में बादल फटा, एक पूरा का पूरा गांव बहा ले गया। जहां होटल, रिहायशी मकान, बाजार थे, वहां सिर्फ तीस सेकेन्ड के बाद चारों तरफ मलबा, पानी के साथ बहकर आई चट्टानें और कीचड़ थी। कितने होटल बह गए, इसका अंदाजा नहीं हैं, कितने लोग मरे इसकी कोई गिनती नहीं हैं। प्रशासन ने दस लोगों की मौत की पुष्टि है। 190 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है। दर्जनों लापता हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धाराली पहुंच गए हैं। भारतीय वायु सेना के चिनूक होलीकॉप्टर से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। ITBP, NDRF, BRO और सेना के जवान राहत कार्य मे लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद दिल्ली में बैठ कर पूरे राहत कार्य की निगरानी कर रहे हैं।

प्रशासन का कहना है कि दस से बीस फुट तक मलबा जमा है। इसे हटाने में तीन-चार दिन का वक्त लगेगा।  जब हर्शिल के पास धराली गांव में मौत ने पंजा मारा, तो लोगों को इतना बड़ा हादसा होने का कोई अंदाजा नहीं था। ऊंचाई वाले इलाके में बादल फटा, इसके बाद पहाड़ से भारी मात्रा में मलबा और पानी तेज बहाव के साथ खीरगंगा नदी में आया। इससे नदी का जलस्तर कुछ ही सेकेन्ड में तीस फुट तक बढ़ गया। चूंकि धराली गांव नदी के किनारे हैं, इसलिए कुछ ही सेकेन्ड में नदी पूरे गांव में तबाही का तांडव मचा कर सलबा अपने साथ ले गई।

जैसे ही लोगों को चट्टानों के गिरने की आवाजें आईं तो होटलों में बैठे लोगों ने भागने की कोशिश की। जो लोग बाजार में थे, उन्होंने अपनी गाड़ी को फुल स्पीड से दौड़ाया लेकिन कोई कोशिश काम नहीं आई। पलक झपकते ही सड़कों पर भाग रहे लोग पानी और कीचड़ के सैलाब में गुम हो गए।

हर्षिल में हुई तबाही की तस्वीरें इस बात का सबूत हैं कि प्रकृति की ताकत के सामने कोई कुछ नहीं कर सकता। धराली में सिर्फ 30 सेकेन्ड में पूरा इलाका श्मशान में तब्दील हो गया। जहां रोज सैलानियों की चहल पहल रहती थी, श्रद्धालुओं के जयकारे गूंजते थे, वहां आज मौत का सन्नाटा है। लेकिन इस हादसे ने वैज्ञानिकों को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया कि Himalayan Region में अचानक बादल फटने की घटनाएं क्यों बढ़ी हैं?

इस बार हिमाचल प्रदेश के शिमला, मनाली, कुल्लू और मंडी जैसे इलाकों में बार-बार बादल फटे। पिछले पांच साल में बादल फटने की जितनी घटनाएं हुई, उससे दुगुनी सिर्फ इस साल जुलाई के महीने में हुईं। इसीलिए पिछले हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह ने चार Institutes के Geologists की कमेटी गठित की थी। ये कमेटी Himalayan Region में बार-बार बादल फटने की वजह समझने की कोशिश करेगी और एक हफ्ते के भीतर सरकार को report देगी लेकिन ये कमेटी रिपोर्ट दे पाती, उससे पहले ही उत्तराखंड में आसमान से आफत टूट पड़ी।

इसमें गलती इंसानों की भी है। पिछली बार जब 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटा था, अचानक बाढ़ आई थी, मकान और Hotels ताश के पत्तों की तरह बह गए थे, तब कहा गया था कि अब नदियों के किनारे  निर्माण नहीं होने देंगे लेकिन बेतरतीब निर्माण लगातार होते रहे। दूसरी तरफ Global Warming का असर भी है। बादल फटने की ज्यादातर घटनाएं उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हुई हैं। हालांकि जलवायु में बदलाव का असर हिमालय के पूरे इलाके में है, Glacier तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके कारण Glacier Lakes का दायरा बढ़ता जा रहा है।

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट एक चेतावनी है। इसमें 67 ऐसी झीलों की पहचान की गई है, जिनके सतही क्षेत्रफल में 40% से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है। इसका असर सबसे ज्यादा उत्तराखंड, हिमाचल, लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल में पड़ा है। इन झीलों से Glacier Lake Outburst Flood का खतरा होता है। सीमा पार भूटान, नेपाल और चीन में भी इसी तरह का खतरा बना हुआ है। इसीलिए प्रकृति के इस कहर से निपटने के लिए इन सब देशों को मिलकर रणनीति बनानी होगी। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 अगस्त, 2025 का पूरा एपिसोड

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