
प्रेमानंद महाराज ने बताया मन के व्यथित होने पर क्या करें?
22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। कानपुर से वृंदावन आए संजय द्विवेदी ने प्रेमानंद महाराज के एकांतिक वार्तालाप के दौरान बताया कि पहलगाम हमले में उनके पुत्र की जान चली गई। संजय द्विवेदी ने पूछा कि वो धर्म से जुड़े हुए थे, फिर भी उनके साथ ऐसी घटना हुई, इस वजह से उनका मन बहुत ज्यादा व्यथित है। आइए जानते हैं कि प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल के जवाब में क्या कहा।
मन व्यथित होना लाजमी
प्रेमानंद महाराज ने अभिमन्यु का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की परिस्थिति में मन का व्यथित होना लाजमी है। भगवान के समझाने के बाद भी अर्जुन का मन व्यथित हो रहा था। महाराज जी ने आगे कहा कि जो होना है, वो तो होकर ही रहेगा। धैर्य बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि हर जीव की सांस तय होती है।
नाम जप करते रहें
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि पहलगाम हमले के बारे में सुनने के बाद उनका मन भी व्यथित हो गया था। जिन लोगों ने इस दृश्य को देखा है, जिन लोगों ने अपने पति-पुत्र को इस हमले में खोया है, उनको धैर्यवान बनना चाहिए क्योंकि रोने से आप डिप्रेशन का शिकार भी बन सकते हैं। इस भयानक दृश्य से बाहर निकलने के लिए नाम जप करते रहना चाहिए। नाम जप ही आपको इस तरह की परिस्थिति से बाहर निकाल सकता है।
धीरे-धीरे सुधर पाएगी मन की स्थिति
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर आप अपने मन की स्थिति को सुधारना चाहते हैं तो आपको नाम जप का सहारा लेना चाहिए। नाम जप करना और भगवान के प्रति समर्पण का भाव ही आपकी मन की स्थिति को धीरे-धीरे सुधार पाएगा। नाम जप इस तरह के चिंतन को धीरे-धीरे कम करने में मदद कर सकता है। हर रोज नाम जप करने का नियम बना लीजिए।