
Trump Tariff on Asian Countries
Donald Trump Trade War: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी दुनिया के खिलाफ ट्रेड वॉर छेड़ रखी है। उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल की नीतियों में व्यापार नीति को केंद्र में रखा है। खासतौर पर एशियाई देशों के साथ व्यापार घाटा और अमेरिका की “मेक इन अमेरिका” नीति के तहत ट्रंप ने कई एशियाई देशों पर भारी टैरिफ लगाया है। ट्रंप की यह नीति ना सिर्फ वैश्विक व्यापार पर असर डाल सकती है बल्कि भारत, चीन, वियतनाम और अन्य देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों को भी प्रभावित कर सकती है।
क्या है ट्रंप का तर्क?
ट्रंप का तर्क है कि अमेरिकी कंपनियों को सस्ते आयात से नुकसान हो रहा है और इससे अमेरिका में रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं। अमेरिका फर्स्ट नीति को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने विदेशी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाया है। उनका दावा है कि इससे अमेरिकी कंपनियां मजबूती से उभरेंगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। भारत को लेकर क्या चल रहा है ये हम आपको आगे बताएंगे लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि अमेरिका ने किन-किन एशियाई देशों पर कितना टैरिफ लगाया है।
ट्रंप ने किन एशियाई देशों पर लगाया कितना शुल्क
देश | शुल्क प्रतिशत |
म्यांमार | 40 फीसदी शुल्क |
थाईलैंड और कंबोडिया | 36 फीसदी शुल्क |
बांग्लादेश | 35 फीसदी शुल्क |
इंडोनेशिया | 32 फीसदी शुल्क |
चीन और श्रीलंका | 30 फीसदी शुल्क |
मलेशिया | 25 फीसदी शुल्क |
फिलीपींस और वियतनाम | 20 फीसदी शुल्क |
भारत | 50 फीसदी शुल्क |
पाकिस्तान | 19 फीसदी शुल्क |
भारत पर लागू हुआ 25 प्रतिशत शुल्क
अब बात भारत की करें तो ट्रंप की ओर से लगाया गया 25 प्रतिशत शुल्क बृहस्पतिवार से लागू हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अब उन देशों से अरबों डॉलर का शुल्क उनके देश में आना शुरू हो जाएगा, जिन्होंने अमेरिका का फायदा उठाया है। ट्रंप ने बुधवार को रूस से तेल खरीद जारी रखने पर भारत से आयातित वस्तुओं पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इसके साथ ही भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में लगने वाला शुल्क अब बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। इस कदम से कपड़ा, समुद्री उत्पाद और चमड़ा निर्यात जैसे क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ने की आशंका है।
कितना पड़ेगा असर?
बता दें कि, एशिया में ट्रंप ने एशिया में भारत पर ही सबसे अधिक शुल्क लगाया है। यह सब ऐसे समय पर हुआ है जब अमेरिकी दल प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर छठे दौर की बातचीत के लिए 25 अगस्त को भारत आने वाला है। जिन क्षेत्रों को इन शुल्कों से नुकसान होगा, उनमें कपड़ा/परिधान, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, और बिजली तथा यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं। हालांकि दवा, ऊर्जा उत्पादों (कच्चा तेल, परिष्कृत ईंधन, प्राकृतिक गैस, कोयला और बिजली) महत्वपूर्ण खनिज और इलेक्ट्रॉनिक्स की एक विस्तृत श्रृंखला पर ये शुल्क लागू नहीं होंगे। निर्यातकों के अनुसार इस कदम से अमेरिका को भारत के 86 अरब डॉलर के निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा।
यह भी पढ़ें: