
प्रतीकात्मक तस्वीर
उत्तराखंड के धराली गांव में बीते दिनों बादल फटा था। इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई, वहीं कई लोग इस घटना में घायल हुए थे। इस दौरान कुछ महिलाओं ने अपनी आंखों के सामने ही इस पूरी घटना को घटित होते हुए देखा। गांव की ही महिलाओं के एक समूह ने धराली गांव में घटे विनाश के इस पूरे मंजर को देखा है। उन्होंने देखा कि कैसे त्रासदी में धराली गांव का आधा से ज्यादा हिस्सा नष्ट हो गया, इमारतें ढह गईं और लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे, जो कि बादल फटने के कारण बह गए। उन्होंने बताया कि उनका गांव नीचे से 70 से 90 फीसदी इस त्रासदी की चपेट में आ गया और मलबे में दब गया।
क्या बोले चश्मदीद
आशा सेमवाल नाम की चश्मदीद ने कहा, ‘हम कुछ नहीं कर सके। हम बस चिल्लाते रहें और सीटियां बजाते रहें ताकि लोग सावधान हो जाएं। धराली हमारा पड़ोसी गांव है। हम वहां के लगभग सभी लोगों को जानते थे। भगवान जाने उनका क्या हुआ।’ मार्कंडेय गांव की निशा सेमवाल नाम की चश्मदीद ने इस घटना को लेकर कहा, ‘नीचे लोग मदद-मदद चिल्ला रहे थे, लेकिन हम कुछ नहीं कर सके। कुछ लोगों ने अपने पूरे परिवार खो दिए। यह एक बुरे सपने जैसा था। सुबह तक सब कुछ चमक रहा था और दोपहर तक सब कुछ खत्म हो गया।”
चश्मदीद बोले- 150 से कम नहीं होगा आंकड़ा
इस भीषण त्रासदी ने मुखबा गांव की एक और निवासी सुलोचना देवी को स्तब्ध कर दिया है। उन्होंने कहा, “मैं निःशब्द हूं, मैं सरकार से बस यही अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करे।” कई स्थानीय लोगों ने कहा कि लापता लोगों की संख्या 150 से कम नहीं होनी चाहिए। गांव के एक व्यक्ति ने कहा, “जब आपदा आई, तब स्थानीय ग्रामीण, नेपाल और बिहार के मजदूर निर्माणाधीन होटलों में काम कर रहे थे और साथ ही धराली बाजार में पर्यटक भी थे। उनकी संख्या 150 से कम नहीं रही होगी।” मुखबा के एक पुजारी के अनुसार, “हमने लोगों को सचेत करने के लिए सीटी बजाई, लेकिन यह कोई साधारण बाढ़ नहीं थी। यह एक जलप्रलय था। बिहारी और नेपाली मजदूर, पर्यटक और स्थानीय लोग, सभी बाजार में मौजूद थे। 20-25 बड़े होटल ध्वस्त हो गए। 500 साल पुराना कल्प केदार मंदिर भी जलमग्न हो गया।”