
सांकेतिक तस्वीर
झारखंड के गढ़वा जिले से मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। भवनाथपुर पंचायत के बुका गांव के तीनकोनिया टोला में 80 वर्षीय तेतरी देवी की डायरिया से मौत के बाद उनके तीनों बेटे, बहुओं और नाती-नातिनों सहित पूरा परिवार शव को घर में छोड़कर फरार हो गया। मृतका का शव 40 घंटे तक घर में लावारिस पड़ा रहा।
पहले पति की भी हो चुकी थी मौत
आखिरकार, ग्रामीणों और स्थानीय नेताओं के सहयोग से शनिवार को हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गुरुवार को तेतरी देवी की डायरिया से मृत्यु हो गई थी। उनके पति हरचरन बियार की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी।
पूरा परिवार गांव छोड़कर भागा
मृतका के बेटे बिंदू बियार ने बताया कि डायरिया के डर से पूरा परिवार गांव छोड़कर भाग गया, जिसके कारण वे अंतिम संस्कार नहीं कर सके। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि परिवार का कोई सदस्य वापस लौटकर अंतिम संस्कार करेगा, लेकिन 40 घंटे बीतने के बाद भी कोई नहीं आया।
हिंदू रीति-रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार
शनिवार को गांव के कुछ लोग शव को दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी जिला परिषद सदस्य रंजनी शर्मा और पंचायत मुखिया बेबी देवी को घटना की जानकारी मिली। उन्होंने दफनाने की प्रक्रिया को रोककर हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार का निर्देश दिया।
ग्रामीणों ने इस घटना पर दुख जताया
समाजसेवी अनुज यादव उर्फ बबलू यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कफन की व्यवस्था की और शव को बुका नदी के श्मशान घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार किया। गांव के रामलाल भुइयां ने मुखाग्नि दी। ग्रामीणों ने इस घटना पर गहरा दुख जताया और कहा कि हिंदू धर्म में माता-पिता का अंतिम संस्कार पुत्र द्वारा करना महत्वपूर्ण माना जाता है, ताकि आत्मा को शांति मिले।
स्थानीय प्रशासन ने नहीं की कोई पहल
इस घटना ने सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वहीं, स्थानीय प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई पहल नहीं की गई, जिस पर भी ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है।
